SSLC Hindi Question and Answer: Satya Ki Mahima
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Karnataka SSLC Hindi Textbook Answers—Reflections Supplementary Chapter 2
Satya Ki Mahima Questions and Answers, Notes, and Summary
Class 10 3rd Language Hindi Supplementary Chapter 2
Satya Ki Mahima
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I. एक वाक्य में उत्तर दीजिए:
Question 1.
‘सत्य’ क्या होता है? उसका रूप कैसे होता है?
Answer:
सत्य बहुत ही सरल और निश्छल होता है। जो कुछ भी हमारी आंखों के सामने घटित होता है, उसे बिना कोई मिलावट किए सीधे-सच्चे ढंग से कह देना ही सत्य है। सत्य दरअसल हमारी दृष्टि का प्रतिबिंब, ज्ञान की प्रतिलिपि और आत्मा की सच्ची आवाज़ है।
Question 2.
झूठ का सहारा लेते हैं तो क्या-क्या सहना पड़ता है?
Answer:
झूठ का सहारा लेने पर एक झूठ को सही साबित करने के लिए और भी कई झूठ बोलने पड़ते हैं। अगर कहीं पर सच सामने आ गया तो हमें शर्मिंदगी और अपमान का सामना करना पड़ता है।
Question 3.
शास्त्र में सत्य बोलने का तरीका कैसे समझाया गया है?
Answer:
शास्त्रों में कहा गया है कि किसी को कष्ट देने या दुखी करने के उद्देश्य से सत्य नहीं बोलना चाहिए। शास्त्रों का निर्देश है – “सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।” इसका अर्थ है – सच बोलो, पर वह ऐसा हो जो दूसरों को प्रिय लगे। अप्रिय सत्य मत बोलो।
Question 4.
“संसार के महान व्यक्तियों ने सत्य का सहारा लिया है” – इस बात को उदाहरण देकर समझाइए।
Answer:
संसार के सभी महान व्यक्ति सत्य का पालन करते आए हैं। राजा हरिश्चंद्र का सत्य के प्रति समर्पण सबको ज्ञात है। उन्होंने सत्य के मार्ग पर अनेक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनकी कीर्ति आज भी अमर है। राजा दशरथ ने भी अपने वचन को निभाने के लिए प्राण त्याग दिए। महात्मा गांधीजी ने सत्य की शक्ति से अंग्रेज़ी शासन को हिला दिया।
Question 5.
महात्मा गांधी का सत्य की शक्ति के बारे में क्या कथन है?
Answer:
महात्मा गांधी ने सत्य की शक्ति को एक विशाल वृक्ष की तरह बताया है। उन्होंने कहा, “सत्य एक विशाल वृक्ष है, जिसका जितना अधिक आदर होता है, उतना ही अधिक फल उसमें लगते हैं और वे फल कभी समाप्त नहीं होते।”
Question 6.
झूठ बोलनेवाले की हालत कैसी होती है?
Answer:
झूठ बोलने से कभी-कभी थोड़ी देर के लिए लाभ तो मिलता है, लेकिन उससे ज्यादा नुकसान ही होता है। ऐसे लोग विकास की राह में रुकावट बन जाते हैं। झूठ बोलने वालों का व्यक्तित्व संकुचित हो जाता है और लोगों का उन पर से विश्वास उठ जाता है, जिससे उनके उन्नति के रास्ते बंद हो जाते हैं।
Question 7.
हर स्थिति में सत्य बोलने का अभ्यास क्यों करना चाहिए?
Answer:
सत्य की महिमा अपार है। सत्य में महान और असीम शक्ति है। सत्य की ही विजय होती है, असत्य की नहीं। सत्य की आवाज़ से ही जीवन की कठिनाइयों को पार किया जा सकता है। सत्य वह चिंगारी है, जिससे असत्य का नाश पलभर में हो जाता है। इसीलिए हर परिस्थिति में सत्य बोलने का अभ्यास करना चाहिए।
सत्य की महिमा [Satya Ki Mahima] Summary
सत्य सरल और निष्कलंक होता है। हमें घटनाओं को ज्यों का त्यों, बिना किसी अतिशयोक्ति के कहना चाहिए। यह हमारे ज्ञान और आत्मा का प्रतिबिंब होता है।
सत्य बोलने के लिए मन साफ और निर्मल होना चाहिए। झूठ बोलना हमेशा गलत होता है। अगर हमारा झूठ पकड़ा गया, तो हमें अपमान का सामना करना पड़ता है। सत्य का उपयोग दूसरों को परेशान करने के लिए नहीं करना चाहिए। ऐसा सत्य, जो दूसरों को दुखी करे, नहीं बोलना चाहिए। इसलिए कहा गया है कि वही सत्य सबसे अच्छा होता है, जो सुनने वाले को प्रिय लगे। अप्रिय सत्य को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
दुनिया के सभी महान लोग सत्य के मार्ग पर चले हैं। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा विश्वविख्यात है। उन्होंने सत्य का पालन करते हुए कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन डरें नहीं। रामायण के राजा दशरथ ने भी अपने वचन को निभाने के लिए प्राण त्याग दिए। महात्मा गांधी ने भी सत्य के बल पर अंग्रेज़ों को भारत से बाहर कर दिया।
सत्य एक विशाल वृक्ष के समान है। यह सत्य बोलने वालों को छाया और सुरक्षा देता है। हमें बचपन से ही सत्य बोलने का अभ्यास करना चाहिए। झूठ बोलने से क्षणिक लाभ मिलता है, लेकिन अंततः इससे कठिनाइयाँ ही पैदा होती हैं। झूठ बोलने वालों पर लोग भरोसा नहीं करते।
सत्य हमेशा शक्तिशाली और लोकप्रिय होता है। यह एक माचिस की तीली की तरह है, जो असत्य को पलभर में जला देती है। इसलिए हमें हर परिस्थिति में सत्य बोलने का अभ्यास करना चाहिए।