Class 10 Hindi Essay

SSLC Hindi Question and Answer: Essay

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Karnataka SSLC Hindi Textbook Answers—Reflections Essay

Essay Questions and Answers, Notes, and Summary

Class 10 3rd Language Hindi 

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निबंध-1 [Eassy]

जनसंख्या की समस्या

विषय प्रवेश – जनसंख्या की समस्या सामान्य रूप से विश्व की समस्या है। प्रति तीन सेकंड में दो बालक जन्म लेते हैं। परंतु भारत में यह समस्या विशेष रूप से विकट बन गई है। भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का सातवाँ देश है, परंतु जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है। यह केवल चीन से पीछे है। इस समय भारत की जनसंख्या 125 करोड़ से अधिक है। जनसंख्या वृद्धि की वर्तमान गति से अनुमान है कि सन् 2020 ई. तक भारत की जनसंख्या 125 करोड़ से कई गुना अधिक होगी।

जनसंख्या में वृद्धि के कारण 

जनसंख्या में वृद्धि के कई कारण हैं; यथा –

  1. विज्ञान की उन्नति के साथ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की सुविधाओं में उन्नति हुई है। फलतः जन्म लेनेवाले शिशुओं की मृत्यु दर में कमी हुई है तथा औसत आयु में वृद्धि हुई है, यानी आजकल एक भारतवासी पहले की अपेक्षा अधिक समय तक जीवित रहता है।
  2. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार बच्चे भगवान की देन हैं। अतएव परिवार नियोजन जैसे उपायों को सामान्यतः अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता है।
  3. यह भी एक दृष्टिकोण है कि अधिक बच्चे होने से काम करने के लिए तथा परिवार की रक्षा करने के लिए अधिक हाथ उपलब्ध होते हैं। उत्पादन की वृद्धि में जनशक्ति के महत्व को कौन नकार सकता है ?
  4. जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सबसे अधिक बाधक तत्व है – अशिक्षा ।अशिक्षित लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं है कि छोटे परिवार के क्या फायदे हैं। दूसरा कारण है – अन्धविश्वास तथा रूढ़िवादिता। इसके अतिरिक्त भारतीय लोग सन्तान को ईश्वरीय देन समझते हैं तथा संतान को भाग्य के साथ जोड़ देते हैं।
  5. जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा किये जानेवाले उपायों के असफल होने का कारण ही यह है कि परिवार नियोजन अपनाने वाला वह वर्ग है, जिसके कम बच्चे होते हैं। जिनके अधिक बच्चे होते हैं, वे परिवार-नियोजन को अपनाते नहीं हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि भारत के लोग सामान्यतः परिवार-नियोजन सदृश उपचारों को अपनाने के प्रति विशेष उत्साह नहीं दिखाते हैं।

परिणाम जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणाम कई रूपों में दिखाई देते हैं।जनसंख्या के विस्फोट के कारण देश की प्रगति कुंठित होती  है। कितने ही महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बनाए जाएँ, वे अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाते हैं। पिछली बारह पंचवर्षीय योजनाएँ भी अधिक जनसंख्या के कारण बौनी साबित हुई हैं। कितनी भी सुनियोजित एवं सुविचारित योजना बनाई जाए, वह कारगर नहीं होती है, क्योंकि जब तक योजना की अवधि पूरी होती है, तब तक जनसंख्या इतनी अधिक हो जाती है कि योजना का सुफल उभर कर नहीं आ पाता है।

जनसंख्या विस्फोट के कारण बेकारी की समस्या में भी वृद्धि हुई है, क्योंकि जिस गति से जनसंख्या बढ़ी है उस गति से रोज़गार के साधनों में वृद्धि नहीं हुई है। नौकरियों की संख्या सीमित रहती है। अतः हमारे अनेक युवक-युवतियाँ बेरोज़गार बने रहते हैं।

जनसंख्या की वृद्धि के कारण अपराधों में वृद्धि हुई है तथा पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई है। पर्यावरण प्रदूषण के फलस्वरूप बीमारियाँ फैलती हैं और समाज को स्वस्थ रखने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। वस्तुओं की मूल्य वृद्धि का एक प्रमुख कारण भी बढ़ती हुई जनसंख्या है। उत्पादन की तुलना में जब किसी वस्तु की माँग अधिक हो तो उस वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो जाती है। जनसंख्या वृद्धि के कारण दिन-प्रति दिन महँगाई बढ़ रही है।

उपचार हम सबका यह कर्त्तव्य है कि इस समस्या के निराकरण में पूरा योगदान दें। व्यक्तिगत रूप में परिवार को छोटे से छोटा रखने का प्रयास करें। हमें यह समझ लेना चाहिए कि अधिक बच्चों का पालन-पोषण बहुत कठिन होता है। बच्चों की संख्या जितनी कम होगी, उनकी देखभाल अधिक अच्छी तरह से कर सकेंगे।

हमारी सरकार तथा सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि सभाओं, गोष्ठियों, संचार माध्यमों द्वारा छोटे परिवार से होनेवाले फायदों का प्रचार-प्रसार करें। कहने का तात्पर्य यह है कि परिवार को सीमित रखने की मानसिकता काप्रचार हर स्तर पर किया जाए,  जिससे जनसंख्या नियंत्रण को जीवन का एक आवश्यक अंग मान लिया जाये।

उपसंहार हमारे देश के विकास में जनसंख्या की वृद्धि एक बहुत बड़ी बाधा है। यातायात, शिक्षा, रोजगार आदि विविध क्षेत्रों में जनसंख्या की वृद्धि सिरदर्द बन गई है । इस समस्या से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है – देश का प्रत्येक नागरिक इस समस्या का हल करने में सहायक हो। हमें निम्न पंक्तियाँ जन-जन तक पहुँचानी चाहिए –

“सुखमय जीवन का यह सार
दो बच्चों का हो परिवार।”

निबंध-2

नारी तुम केवल श्रद्धा हो

विषय प्रवेश भारत में नारी का स्थान पूजनीय है। इसलिए प्राचीन काल में यहाँ नारी के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति की भावना थी। पुरुष के जीवन में वह माता के रूप में, बहन के रूप में तथा पत्नी के रूप में अपना योगदान देती है। नारी के बिना पुरुष का जीवन अधूरा माना जाता है। कहा गया है – “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवताः” अर्थात्, “जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ भगवान का निवास होता है।” वेद-उपनिषद काल से नारी ने शास्त्र, गणित, खगोल विज्ञान आदि क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा और कौशल को प्रमाणित किया है।

विषय विस्तार अनादिकाल से भारत में बहनेवाली पवित्र नदियों को गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा जैसे स्त्रियों के नाम दिए गए हैं। मातृ प्रधान परिवार की स्वीकृति इस बात को प्रमाणित करती है कि सामाजिक क्षेत्र में भी नारी को मान-सम्मान प्राप्त हुआ है। लेकिन कालांतर में अज्ञान और रूढ़िग्रस्त अंधविश्वासों के कारण नारी का अनादर होने लगा। सुरक्षा के नाम पर उसकी स्वतंत्रता का हरण हुआ। उसे मात्र विलास की वस्तु माना जाने लगा। बचपन में नारी को पिता के आश्रय में, उसके बाद पति के अधीन तथा अंत में अपने बच्चों के सहारे जीवन बिताना पड़ता था। लेकिन अब समय बदल गया है। नारी की स्थिति में बहुत बदलाव आये हैं। आज की नारी स्वतंत्र रूप से आगे बढ़कर पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कला, साहित्य, संगीत और राजनीति आदि सभी क्षेत्रों में गणनीय प्रगति कर रही है।

भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद सरोजिनी नायडू ने प्रथम महिला राज्यपाल बनकर अपनी क्षमता का परिचय दिया। श्रीमती इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री बनकर भारत देश को प्रगति के पथ पर अग्रसित किया। अंतरिक्ष में प्रवेश करनेवाली प्रथम भारतीय महिला  कल्पना चावला ने संसार को यह सिद्ध कर दिखाया है कि स्त्री अंतरिक्ष तक पहुँच सकती है। इसी प्रकार सुनीता विलियम्स ने भी अंतरिक्ष की यात्रा कर अपने साहस का परिचय दिया है। पी.टी. उषा, अश्विनी नाचप्पा, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, मेरी कोम, ज्वाला गुट्टा आदि ने खेल-कूद के क्षेत्र में संसार भर में भारत का नाम रोशन किया है।

अनेक महिलाएँ मुख्यमंत्री, जिलाध्यक्ष और उच्च अधिकारियों के रूप में प्रशासन का कार्य संभाल रही हैं।

उपसंहार आज केंद्र तथा राज्य सरकारों ने महिलाओं के लिए अनेक योजनाएँ बनाई हैं। उनके लिए आरक्षण दिया है। राज्य सरकार ने दसवीं कक्षा तक बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा की योजना बनाई है। इसके अलावा अन्य कई सुविधाएँ भी दी जा रही हैं। आशा कर सकते हैं कि भारतीय नारी इन सुविधाओं से लाभान्वित होगी और अपने देश के सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होगी।

निबंधों की रूपरेखा

पर्यटन का महत्व

  1. विषय प्रवेश – पर्यटन का अर्थ 2. पर्यटन-एक उद्योग 3. विकास का सूत्रधार 4. पर्यटन से लाभ 5. पर्यटन-एक शौक 6. उपसंहार ।

नागरिक के कर्तव्य

  1. विषय प्रवेश – ‘नागरिक’ के विभिन्न अर्थ, ‘नागरिक’ का रूढ़ अथवा व्यावहारिक अर्थ 2. नागरिक – समाज और राष्ट्र 3. नागरिक के कर्तव्य अथवा नागरिकता के लक्षण 4. नागरिक की पहचान 5. नागरिक के अधिकार 6. नागरिक और सरकार 7. उपसंहार ।

बेरोज़गारी

  1. विषय प्रवेश – बेरोज़गारी का तात्पर्य 2. बेरोज़गारी के प्रकार – (क) पूर्ण (ख) आंशिक (ग) शिक्षित (घ) अशिक्षित वर्ग 3. बेरोज़गारी के दुष्परिणाम – अपराधों की वृद्धि, देश की प्रतिभा की अनुपयोगिता, राष्ट्रीय साधनों का अपव्यय 4. बेरोज़गारी के कारण – (i) जनसंख्या में वृद्धि (ii) दोषपूर्ण शिक्षा-पद्धति (iii) उद्योग-धंधों का अभाव 5. बेरोज़गारी दूर करने के उपाय 6. उपसंहार ।

महँगाई

  1. विषय प्रवेश – महँगाई-एक व्यापक समस्या 2. जीवन की मूलआवश्यकताएँ-रोटी, कपड़ा, मकान की पूर्ति में कठिनाई 3. महँगाई केकारण 4. महँगाई से उत्पन्न अपराध-चोरी, डकैती, भ्रष्टाचार आदि 5. महँगाई को दूर करने के उपाय 6. उपसंहार ।

वन महोत्सव

  1. विषय प्रवेश – वन प्रकृति के आवश्यक अंग तथा मनुष्य के सहचर 2. वृक्षों का उपयोग 3. वृक्षों की उपयोगिता के बारे में वैज्ञानिकों का मत 4. वनों से प्राप्त होने वाली विभिन्न वस्तुएँ, राष्ट्रीय आय के साधन 5. वनों का नाश 6. वृक्षारोपण अथवा वन महोत्सव की परंपरा का सन् 1950 में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा आरंभ, तदुपरांत चिप्को आंदोलन 7. उपसंहार।
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