SSLC Hindi Question and Answer: Imandaro Ke Sammelan Me
Looking for SSLC 3rd Language Hindi Studies textbook answers? You can download Chapter 9: Imandaro Ke Sammelan Me Questions and Answers PDF, Notes, and Summary here. SSLC 3rd Language Hindi solutions follow the Karnataka State Board Syllabus, making it easier for students to revise and score higher in exams.
Karnataka SSLC Hindi Textbook Answers—Reflections Chapter 9
Imandaro Ke Sammelan Me Questions and Answers, Notes, and Summary
Class 10 3rd Language Hindi Chapter 9
Imandaro Ke Sammelan Me
Scroll Down to Download Imandaro Ke Sammelan Me PDF
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए:
Question 1.
प्रस्तुत कहानी के लेखक कौन हैं?
Answer:
प्रस्तुत कहानी के लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
Question 2.
लेखक दूसरे दर्जे में क्यों सफर करना चाहते थे?
Answer:
लेखक इसलिए दूसरे दर्जे में सफर करना चाहते थे क्योंकि वे दूसरे दर्जे में जाकर पहले का किराया लेना चाहते थे।
Question 3.
लेखक की चप्पलें किसने पहनी थीं?
Answer:
लेखक की चप्पलें एक ईमानदार डेलिगेट ने पहन रखी थीं।
Question 4.
स्वागत समिति के मंत्री किसको डाँटने लगे?
Answer:
स्वागत समिति के मंत्री कार्यकर्ताओं को डाँटने लगे थे।
Question 5.
लेखक पहनने के कपडे कहाँ दबाकर सोये?
Answer:
लेखक अपने पहनने के कपड़े सिरहाने दबाकर सोये थे।
Question 6.
सम्मेलन में लेखक के भाग लेने से किन-किन को प्रेरणा मिल सकती थी?
Answer:
सम्मेलन में लेखक के भाग लेने से ईमानदारों और उदीयमान ईमानदारों को प्रेरणा मिल सकती थी।
Question 7.
लेखक को कहाँ ठहराया गया?
Answer:
लेखक को एक बड़े कमरे में ठहराया गया था।
Question 8.
ब्रीफकेस में क्या था ?
Answer:
ब्रीफकेस में कागजात थे।
Question 9.
लेखक ने धूप का चश्मा कहाँ रखा था?
Answer:
लेखक ने धूप का चश्मा कमरे की टेबल पर रखा था।
Question 10.
तीसरे दिन लेखक के कमरे से क्या गायब हो गया था?
Answer:
तीसरे दिन लेखक के कमरे से कम्बल गायब हो गया था।
II. दो–तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:
Question 1.
लेखक को भेजे गये निमंत्रण पत्र में क्या लिखा गया था ?
Answer:
लेखक को भेजे गये निमंत्रण पत्र में लिखा गया था कि वे इस शहर में एक ईमानदार सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। लेखक देश के प्रसिद्ध ईमानदार हैं, इसलिए उनसे उद्घाटन कराने का अनुरोध किया गया था। साथ ही, आने-जाने का पहले दर्जे का किराया और उत्तम आवास-भोजन की व्यवस्था का आश्वासन दिया गया था।
Question 2.
फूल मालाएँ मिलने पर लेखक क्या सोचने लगे ?
Answer:
जब लेखक रेलवे स्टेशन पर पहुँचे, तो उनका भव्य स्वागत हुआ और दस बड़ी फूल-मालाएँ पहनाई गईं। यह देखकर लेखक ने सोचा कि यदि आस-पास कोई माली होता, तो वह इन फूल-मालाओं को बेच देता। फूल-मालाओं के इस स्वागत ने लेखक को उनकी फिजूलखर्ची की भी याद दिला दी।
Question 3.
लेखक ने मंत्री को क्या समझाया ?
Answer:
जब लगातार चीजें गायब होने लगीं, तो प्रतिनिधियों ने हल्ला मचाया। स्वागत समिति के मंत्री ने आकर कार्यकर्ताओं को डाँटा और पुलिस बुलाने की बात कही। लेखक ने मंत्री को समझाया कि ईमानदारों के सम्मेलन में पुलिस द्वारा ईमानदारों की तलाशी लेना उचित नहीं होगा और यह सम्मेलन की गरिमा को ठेस पहुँचाएगा।
Question 4.
चप्पलों की चोरी होने पर ईमानदार डेलीगेट ने क्या सुझाव दिया ?
Answer:
चप्पलें चोरी होने पर लेखक को एक ईमानदार डेलीगेट ने सुझाव दिया। उसने कहा कि चप्पलें एक साथ रखने से चोरी हो जाती हैं, इसलिए दोनों चप्पलों को दस फीट की दूरी पर रखना चाहिए। इससे कोई एक साथ पहनकर नहीं जा पाएगा।
Question 5.
लेखक ने कमरा छोड़कर जाने का निर्णय क्यों लिया?
Answer:
लेखक सम्मेलन में मुख्य अतिथि के नाते ठहरे थे, लेकिन वहाँ उनकी चप्पलें, चादरें और चश्मा चोरी हो गए। जब उनका कमरा भी सुरक्षित नहीं रहा, तो उन्होंने सोचा कि अगली बार उनका खुद का ही अपहरण न हो जाए। इस डर से लेखक ने कमरा छोड़कर जाने का निश्चय किया।
Question 6.
मुख्य अतिथि की बेईमानी कहाँ दिखाई देती है ?
Answer:
मुख्य अतिथि की बेईमानी इस बात में दिखती है कि उन्होंने आने-जाने के लिए पहले दर्जे का किराया लिया। लेकिन सफर उन्होंने दूसरे दर्जे में किया और बचे हुए पैसे अपनी जेब में रख लिए। इस प्रकार वे सम्मेलन में ईमानदारी की बात करने के बावजूद खुद बेईमानी कर बैठे।
III. चार-छः वाक्यों में उत्तर लिखिए:
Question 1.
लेखक के धूप का चश्मा खो जाने की घटना का वर्णन कीजिए।
Answer:
दूसरे दिन लेखक को बैठक में जाने के लिए धूप का चश्मा नहीं मिला, जबकि शाम को वह था। जब लेखक ने यह बात किसी से कही, तो बात फैल गई और लोग सहानुभूति जताने लगे। तभी एक सज्जन आए जिन्होंने लेखक का ही चश्मा पहन रखा था। उन्होंने बड़ी सहजता से कहा, “आपने चश्मा लगाया नहीं था?” लेखक ने देखा कि वह सज्जन लेखक का चश्मा पहनकर इत्मीनान से बैठे हुए थे। इस घटना ने लेखक को सम्मेलन में व्याप्त अव्यवस्था और बेईमानी का अनुभव करा दिया।
Question 2.
मंत्री तथा कार्यकर्ताओं के बीच में क्या वार्तालाप हुआ ?
Answer:
जब रोज़ सामान गायब होने लगा, तो मंत्री कार्यकर्ताओं को डाँटने लगे। उन्होंने कहा कि तुम्हारी ड्यूटी यहाँ है, फिर भी चोरी हो रही है और बाहर बदनामी होगी। कार्यकर्ताओं ने जवाब दिया कि वे क्या करें, जब सम्माननीय डेलीगेट ही यहाँ-वहाँ जा रहे हों। इस पर मंत्री ने गुस्से में कहा कि वे पुलिस को बुलाकर तलाशी करवाएंगे। एक कार्यकर्ता बोला कि अब आधे डेलीगेट तो किराया लेकर दोपहर में ही वापस चले गए। यह सुनकर मंत्री भी चुप रह गए।
Question 3.
सम्मेलन में लेखक को कौन-से अनुभव हुए? संक्षेप में लिखिए।
Answer:
लेखक ने सम्मेलन में कई विचित्र अनुभव किए। स्टेशन पर उनका स्वागत फूल-मालाओं से हुआ, जिससे उन्हें माली की याद आ गई। लेखक की नई चप्पलें गायब होकर उनकी जगह फटी-पुरानी चप्पलें मिल गईं। अगले दिन लेखक का धूप का चश्मा भी चोरी हो गया, जिसे एक सज्जन ने पहन रखा था। तीसरे दिन उनका कंबल भी गायब हो गया और अंत में कमरे का ताला तक चोरी हो गया। इन घटनाओं ने लेखक को महसूस कराया कि सब ईमानदारी की बातें कर रहे थे, पर वास्तव में वहाँ सब बेईमान थे।
IV. अनुरूपता:
- पहला दिन : चप्पलें गायब थीं :: दूसरे दिन : धूप का चश्मा गायब था
- तीसरे दिन : कम्बल गायब था :: चौथे दिन : ताला गायब था-
- रिक्शा : तीन पहियों का वाहन :: साइकिल : दो पहियों का वाहन
- रेलगाडी : पटरी :: हवाईजहाज : आकाश/हवाईमार्ग
V. रिक्त स्थान भरिए:
- हम लोग इस शहर में एक ईमानदार सम्मेलन कर रहे हैं।
- आपकी चप्पलें नहीं गयीं, यह संयोग।
- वह मेरा चश्मा लगाये इत्मीनान से बैठे थे।
- फिर इतने बड़े सम्मेलन में थोड़ी गड़बड़ी होगी ही।
VI. विलोम शब्द लिखिए:
- आगमन – प्रस्थान
- रात – दिन
- जवाब – प्रश्न
- बेचना – खरीदना
- सज्जन – दुष्ट
VII. बहुवचन रूप लिखिए:
- कपड़ा – कपड़े
- चादर – चादरें
- बात – बातें
- डिब्बा – डिब्बे
- चीज – चीजें
VIII. प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिखिए:
- ठहरना – ठहराना – ठहरवाना
- धोना – धुलाना – धुलवाना
- देखना – दिखाना – दिखवाना
- लौटना – लौटाना – लौटवाना
- उतरना – उतराना – उतरवाना
- पहनना – पहनाना – पहनवाना
IX. संधि–विच्छेद करके संधि का नाम लिखिए:
1. स्वागत = सु + आगत = यण संधि
2. सहानुभूति = सह + अनुभूति = दीर्घ संधि
3. सज्जन = सज् + जन = व्यंजन संधि
4. परोपकार = पर + उपकार = गुण संधि
5. निश्चिंत = निः + चिंत = विसर्ग संधि
6. सदैव = सदा + एव = वृद्धि संधि
X. कन्नड या अंग्रेजी में अनुवाद कीजिए :
- हम आप को आने-जाने का पहले दर्जे का किराया देंगे।
- ನಾವು ನಿಮಗೆ ಬಂದು ಹೋಗುವ ಪ್ರಥಮ ವರ್ಗದ ಬಾಡಿಗೆ ಕೊಡುತ್ತೇವೆ.
- We will pay for your first-class travel fare (up and down).
- स्टेशन पर मेरा खूब स्वागत हुआ।
- ಸ್ಟೇಶನ್ನಲ್ಲಿ ನನಗೆ ಬಹಳ ಸ್ವಾಗತವಾಯಿತು.
- I was given a grand welcome at the station.
- देखिए, चप्पलें एक जगह नहीं उतारना चाहिए।
- ನೋಡಿರಿ, ಚಪ್ಪಲಿಗಳನ್ನು ಒಂದು ಸ್ಥಳದಲ್ಲಿ ತೆಗೆದಿಡಬಾರದು.
- Look, you should not leave your chappals (slippers) in one place.
- अब मैं बचा हूँ। अगर रूका तो मैं ही चुरा लिया जाऊँगा।
- ಈಗ ನಾನು ಉಳಿದಿದ್ದೇನೆ. ಇಲ್ಲೇ ನಿಂತರೆ ನಾನೇ ಕಳ್ಳತನವಾಗುತ್ತೇನೆ.
- Now I am the only one left. If I stay here, I will be stolen too.
XI. ईमान गुण के सामने सही चिन्ह (✓) और बेईमान गुण के सामने गलत चिन्ह (✗) लगाइए:
- दूसरे लोगों की वस्तुओं को वापिस पहुँचाना। ✓
- चोरी करना। ✗
- रास्ते में मिली वस्तुओं को पुलिस स्टेशन पहुँचाना। ✓
- कामचोरी करना। ✗
- बगल में छुरी मुँह में राम-राम करना। ✗
- झूठ बोलना। ✗
- नेक मार्ग पर चलना। ✓
- जानबूझकर गलती करना। ✗
- बहाना बनाना। ✗
- सच बोलना। ✓
- समय पर काम पूरा करना। ✓
- धोखा देना। ✗
- जालसाजी करना। ✗
- चोर बाजारी और मिलावट करना। ✗
- निष्ठा से कार्य करना। ✓
- भ्रष्टाचार में शामिल होना। ✗
- सेवाभाव से दूसरों की सहायता करना। ✓
- देश के प्रति सच्चा अभिमान रखना। ✓
- सच्चे भाव से बड़ों का आदर करना। ✓
- अपने सहपाठियों के साथ भाईचारे का व्यवहार करना। ✓
भाषा ज्ञान
I. दिए गए निर्देशानुसार वाक्य बदलिए:
Question 1.
मेरे पास चप्पल नहीं थी। (वर्तमानकाल में)
Answer:
मेरे पास चप्पल नहीं है।
Question 2.
एक बिस्तर की चादर गायब है। (भूतकाल में)
Answer:
एक बिस्तर की चादर गायब थी।
Question 3.
उसमें पैसे तो नहीं थे। (भविष्यत्काल में)
Answer:
उसमें पैसे नहीं होंगे।
Question 4.
कोई उठा ले गया होगा। (वर्तमानकाल में)
Answer:
कोई उठा ले रहा है।
Question 5.
वह धूप का चश्मा लगाये थे। (भविष्यत्काल में)
Answer:
वह धूप का चश्मा लगाएगा।
Question 6.
सुबह मुझे लौटना था। (भविष्यत्काल में)
Answer:
सुबह मुझे लौटना होगा।
II. निम्नलिखित वाक्यों के आगे काल पहचानकर लिखिए:
वाक्य | काल |
मैंने सामान बाँधा। | भूतकाल |
बड़ी चोरियाँ हो रही हैं। | वर्तमानकाल |
पहले दर्जे का किराया लिया। | भूतकाल |
डेलीगेट दोपहर को ही वापस चले गये। | भूतकाल |
मेरी चप्पलें देख रहे थे। | भूतकाल |
III. कहावतों का अर्थ समझकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
- कहावत: जहाँ चाह वहाँ राह।
अर्थ: इच्छा होने पर उसे पाने का मार्ग स्वयं मिल जाता है।
वाक्य: यदि मनुष्य चाहे तो कठिन से कठिन कार्य भी कर सकता है, क्योंकि जहाँ चाह वहाँ राह। - कहावत: गुरु गुड ही रहे, चेले शक्कर हो गये।
अर्थ: गुरु से भी आगे निकल जाना।
वाक्य: विवेक ने अपने गुरु से प्रशिक्षण लिया और उसे पार कर गया; यह वही बात है, जैसे गुरु गुड ही रहे, चेले शक्कर हो गये। - कहावत: जैसा देश, वैसा भेस।
अर्थ: जगह के अनुसार रहन-सहन बदल लेना।
वाक्य: जब हम किसी अन्य जगह जाते हैं तो वहाँ के अनुसार खुद को ढालना पड़ता है, जैसे जैसा देश वैसा भेस। - कहावत: निर्वल के बलराम।
अर्थ: बलहीनों का सहारा भगवान होते हैं।
वाक्य: रामू स्वभाव से भोला था, लोग उसका फायदा उठाते थे, लेकिन उसे भरोसा था कि निर्बल के बलराम होते हैं। - कहावत: बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद!
अर्थ: मूर्ख व्यक्ति के हाथ में मूल्यवान चीज लगना।
वाक्य: पाश्चात्य संगीत की धुन पर थिरकने वाले युवाओं को शास्त्रीय संगीत की कोई समझ नहीं; उनके लिए यही कहावत सत्य है कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। - कहावत: हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और।
अर्थ: बाहर से कुछ और, अंदर से कुछ और होना।
वाक्य: मोहन का व्यवहार घर में अलग और स्कूल में अलग था; वह हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और था।
ईमानदारों के सम्मेलन में [Imandaro Ke Sammelan Me] Summary
लेखक परिचय:
श्री हरिशंकर परसाई हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं। उनका जन्म 22 अगस्त 1924 को मध्य प्रदेश के जमानी गाँव में हुआ। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘हँसते हैं रोते हैं’, ‘भूत के पाँव पीछे’, ‘सदाचार का तावीज़’ आदि शामिल हैं। हिन्दी व्यंग्य साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है।
पाठ का सारांश:
लेखक खुद को ईमानदार नहीं मानते थे, लेकिन लोग उन्हें देश का एक प्रमुख ईमानदार समझने लगे। उन्हें एक पत्र मिला कि वे एक ईमानदारों के सम्मेलन का उद्घाटन करें, जिसमें आने-जाने का पूरा खर्च होगा। लेखक सम्मेलन में इस वजह से गया नहीं कि वह खुद ईमानदार था, बल्कि क्योंकि लोग उन्हें ऐसा मानते थे।
सम्मेलन में लेखक का भव्य स्वागत हुआ और उन्हें एक अच्छे होटल में ठहराया गया। उद्घाटन के बाद वे लोगों से मिलने लगे। पर धीरे-धीरे लेखक की चप्पलें गायब हो गईं, जिन्हें किसी ने पहन लिया था। बाद में बिस्तर की चादरें, धूप का चश्मा, कंबल, और यहाँ तक कि कमरे का ताला भी चोरी हो गया। लोग एक-दूसरे पर शक करते रहे, लेकिन चोरी जारी रही।
जब मंत्री ने चोरियों को रोकने के लिए पुलिस बुलाने की बात की, तो कार्यकर्ताओं ने बताया कि आधे डेलीगेट तो पहले ही वापस जा चुके हैं। लेखक ने कहा कि पुलिस की तलाशी ईमानदारों के सम्मेलन में अनुचित होगी। अंत में लेखक ने खुद कहा कि वे अब यहाँ रुकेंगे नहीं क्योंकि यहाँ तक कि ताला भी चोरी हो गया है; यदि वे रुके तो खुद भी चोरी हो जाएंगे।
यह कहानी ईमानदारी की आड़ में छिपी बेईमानी और पाखंड की व्यंग्यात्मक झलक प्रस्तुत करती है।