Class 10 Hindi Chapter 1

SSLC Hindi Question and Answer: Mathrubhumi

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Karnataka SSLC Hindi Textbook Answers—Reflections Chapter 1

Mathrubhumi Questions and Answers, Notes, and Summary

Class 10 3rd Language Hindi Chapter 1

Mathrubhumi

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I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

Question 1.
कवि किसे प्रणाम कर रहे हैं ?

Question 2.
भारत माँ के हाथों में क्या है ?
Answer:
भारत माँ के एक हाथ में न्याय-पताका और दूसरे हाथ में ज्ञान-दीप है ।

Question 3.
आज माँ के साथ कौन है ?
Answer:
आज माँ के साथ कोटि-कोटि हम हैं ।

Question 4.
सभी ओर क्या गूँज उठा है ?
Answer:
सभी ओर जय-हिंद का नाद गूँज उठा है ।  

Question 5.
भारत के खेत कैसे हैं ?
Answer:
भारत के खेत हरे-भरे और सुहाने हैं ।

Question 6.
भारत भूमि के अंदर क्या-क्या भरा हुआ है?
Answer:
भारत भूमि के अंदर खनिजों का व्यापक धन भरा हुआ है।

Question 7.
सुख-संपत्ति, धन-धान्य को माँ कैसे बाँट रही है?
Answer:
माँ सुख-संपत्ति, धन-धान्य को मुक्त-हस्त से बाँट रही है।

Question 8.
जग के रूप को बदलने के लिए कवि किससे निवेदन करते हैं?
Answer:
जग के रूप को बदलने के लिए कवि भारत माँ से निवेदन करते हैं।

Question 9.
‘जय-हिंद’ का नाद कहाँ-कहाँ पर गूँजना चाहिए?
Answer:
‘जय-हिंद’ का नाद सकल नगर और ग्राम में गूँजना चाहिए।

II. दोतीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :

Question 1.
भारत माँ के प्रकृति-सौंदर्य का वर्णन कीजिए ।
Answer:
 भारत माँ के खेत हरे-भरे और सुहाने हैं। वन-उपवन फल-फूलों से युक्त हैं। भारत भूमि के अंदर खनिजों का व्यापक धन भरा हुआ है।

Question 2.
मातृभूमि का स्वरूप कैसे सुशोभित है?
Answer:
मातृभूमि का स्वरूप हरे-भरे खेतों से, फल-फूलों से युक्त वन-उपवनों से और खनिजों के व्यापक धन से सुशोभित है। इसके हृदय में शाश्वत शांति के प्रतीक गाँधी, बुद्ध और राम बसे हुए हैं।

III. अनुरूपता :
  1. वसीयत : नाटक :: चित्रलेखा : उपन्यास
  2. शत-शत : द्विरुक्ति :: हरे-भरे : शब्द युग्म
  3. बायें हाथ में : न्याय पताका :: दाहिने हाथ में : ज्ञानदीप
  4. हस्त : हाथ :: पताका : झंडा
IV. दोनों खंडों को जोड़कर लिखिए :
  1. तेरे उर में शाश्वत         –  गाँधी, बुद्ध और राम
  2. फल-फूलों से युक्त      – वन-उपवन
  3. एक हाथ में                –  न्याय-पताका
  4. कोटि-कोटि हम         –  आज साथ में
  5. मातृ-भू                      – शत-शत बार प्रणाम
V. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए :
  1. कवि मातृभूमि को शतशत बार प्रणाम कर रहे हैं।
  2. भारत माँ के उर में गाँधी, बुद्ध और राम हैं।
  3. वनउपवन फल, फूलों से युक्त है।
  4. मुक्तहस्त से मातृभूमि सुख-संपत्ति बाँट रही है।
  5. सभी ओर जयहिंद का नाद गूँज उठे।
VI. भावार्थ लिखिए :

एक हाथ में न्याय-पताका,
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में |
जग का रूप बदल दे, हे माँ,
कोटि-कोटि हम आज साथ में |
गूँज उठे जय-हिंद नाद से –
सकल नगर और ग्राम,
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम |

भावार्थ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि रवींद्रनाथ ठाकुर भारत माँ को प्रणाम करते हुए कहते हैं कि हे माँ! आपके एक हाथ में न्याय का प्रतीक झंडा है और दूसरे हाथ में ज्ञान का दीपक है। हम करोड़ों देशवासी आज आपके साथ हैं, और हम सब मिलकर इस दुनिया का स्वरूप बदल देंगे। हमारी ‘जय हिंद’ की ध्वनि से सभी शहर और गाँव गूँज उठें। हे मातृभूमि, हम आपको सौ-सौ बार प्रणाम करते हैं।

VII. पद्य भाग को पूर्ण कीजिए :

हरे-भरे हँ खेत सुहाने,
फल-फूलों से युक्त वन-उपवन,
तेरे अंदर भरा हुआ है
खनिजों का कितना व्यापक धन |
मुक्त-हस्त तू बाँट रही है
सुख-संपत्ति, धन-धान्य, मातृ-भू,
शत-शत बार प्रणाम!

Summary मातृभूमि  [Mathrubhumi]

Class 10 3rd Language Hindi Chapter 1 मातृभूमि
Class 10 3rd Language Hindi Chapter 1

कविता का सारांश / भावार्थ:

1) मातृभू, शतशत बार प्रणाम!
कवि अपनी मातृभूमि को बार-बार प्रणाम करता है। वह कहता है कि हे मातृभूमि, तू अमरों की जननी है और तुझमें गाँधी, बुद्ध और राम जैसे महापुरुषों का निवास है। इसलिए, मैं तुझे सौ-सौ बार नमन करता हूँ।

2) हरेभरे खेत और उपवन
कवि मातृभूमि की प्राकृतिक सुंदरता और संपन्नता का बखान करते हुए कहता है कि तेरे खेत हरे-भरे और बहुत सुंदर हैं। फल-फूलों से युक्त तेरे वन-उपवन अत्यंत मनोहारी हैं। तेरे गर्भ में अपार खनिज-संपदा भरी हुई है, और तू इस संपदा को मुक्तहस्त से अपनी संतानों को बाँट रही है। इस प्रकार, तू हमें सुख-संपत्ति और ऐश्वर्य से सजा रही है। इस लिए, हे मातृभूमि! मैं तुझे शत-शत बार प्रणाम करता हूँ।

3) न्याय और ज्ञान से सुसज्जित मातृभूमि
कवि कहता है कि हे मातृभूमि! तेरे एक हाथ में न्याय की पताका है और दूसरे हाथ में ज्ञान का दीपक। आज हम करोड़ों भारतवासी तेरे साथ हैं और इस ज्ञान व न्याय के साथ, तू इस संसार का रूप बदल दे। ‘जय हिंद’ का नाद हर गाँव और नगर में गूंजे। इस महान लक्ष्य के लिए, हे मातृभूमि! मैं तुझे सौ-सौ बार प्रणाम करता हूँ।

भावार्थ:
यह कविता मातृभूमि के प्रति गहन श्रद्धा और नमन का भाव प्रकट करती है। कवि अपनी मातृभूमि की महिमा, प्राकृतिक सौंदर्य, संपन्नता और उसके आदर्शों की प्रशंसा करता है। न्याय, ज्ञान और सांस्कृतिक गरिमा से परिपूर्ण भारतवर्ष को कवि बार-बार नमन करता है और उसमें विश्व कल्याण की अपार क्षमता देखता है।

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