SSLC Hindi Question and Answer: Koshish Karne Walo Ki Haar Nahi Hoti
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Karnataka SSLC Hindi Textbook Answers—Reflections Chapter 17
Koshish Karne Walo Ki Haar Nahi Hoti Questions and Answers, Notes, and Summary
Class 10 3rd Language Hindi Chapter 17
Koshish Karne Walo Ki Haar Nahi Hoti
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I. एक वाक्य में उत्तर दीजिए:
Question 1:
किससे डरने के कारण नाव पार नहीं हो पाती?
Answer:
लहरों के डर से नौका पार नहीं होती।
Question 2:
किसकी हार कभी नहीं होती?
Answer:
जो लगातार प्रयास करते हैं, उनकी हार नहीं होती।
Question 3:
कौन दाना लेकर चलता है?
Answer:
नन्ही चींटी दाना लेकर चलती है।
Question 4:
चींटी कहाँ चढ़ती है?
Answer:
चींटी दीवारों पर चढ़ती है।
Question 5:
किसकी मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती?
Answer:
चींटी की मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।
Question 6:
सागर में कौन डुबकी लगाता है?
Answer:
गोताखोर सागर में डुबकी लगाता है।
Question 7:
मोती कहाँ पाए जाते हैं?
Answer:
मोती समुद्र के गहरे भागों में मिलते हैं।
Question 8:
किसकी मुट्ठी कभी खाली नहीं होती?
Answer:
कोशिश करनेवालों की मुट्ठी कभी खाली नहीं होती।
Question 9:
किसे मैदान छोड़कर भागना उचित नहीं है?
Answer:
संघर्ष करनेवालों को मैदान नहीं छोड़ना चाहिए।
Question 10:
बिना कुछ किए क्या संभव नहीं है?
Answer:
बिना प्रयास के सफलता संभव नहीं होती।
II. दो–तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:
Question 1:
कवि चींटी के बारे में क्या कहते हैं?
Answer:
कवि कहते हैं कि नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है, तो वह कई बार फिसलती है, लेकिन हार नहीं मानती। वह बार-बार कोशिश करती है और अंततः सफल होती है।
Question 2:
गोताखोर के बारे में कवि की क्या सोच है?
Answer:
कवि के अनुसार, गोताखोर बार-बार समुद्र में डुबकी लगाता है। कभी-कभी वह खाली हाथ लौटता है, फिर भी उसका उत्साह कम नहीं होता। अंत में उसकी मेहनत रंग लाती है और वह मोती लेकर लौटता है।
Question 3:
कवि असफलता से सफलता तक के सफर के बारे में क्या कहता है?
Answer:
कवि बताता है कि असफलता एक चुनौती है, जिसे हमें स्वीकार कर साहस और विश्वास के साथ सामना करना चाहिए। जब तक सफलता प्राप्त न हो, तब तक प्रयास करते रहना चाहिए।
III. सही जोड़िए:
- लहर → नौका
- चींटी → दाना
- गोताखोर → डुबकियाँ
- असफलता → चुनौती
- कमी → सुधार
IV. भावार्थ लिखिए:
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
दीवारों पर चढ़ते-चढ़ते कई बार फिसलती है।
लेकिन मन में विश्वास और साहस होता है,
गिरकर फिर उठना उसे परेशान नहीं करता।
अंत में उसकी मेहनत व्यर्थ नहीं जाती,
जो प्रयास करते हैं, उनकी हार कभी नहीं होती।
Answer:
इसका भावार्थ है कि छोटे-छोटे प्रयास करने वाले भी बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं। जैसे चींटी बार-बार गिरकर भी हार नहीं मानती, हमें भी जीवन की कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए। निरंतर मेहनत करते रहना ही सफलता की कुंजी है।
V. तुकांत शब्द पहचानिए:
चलती – चढ़ती
भरता – अखरता
लगाता – आता
बार – हार
स्वीकार – सुधार
VI. सफलता से जुड़े शब्दों को चिन्हित करें:
(यहाँ उत्तर देने के लिए आप कविता से ‘कोशिश’, ‘मेहनत’, ‘साहस’, ‘विश्वास’, ‘सफलता’ जैसे शब्द चुन सकते हैं।)
VII. संकेतों के आधार पर ‘परिश्रम’ पर लघु निबंध:
जीवन में संघर्ष आम बात है। हमें इन चुनौतियों से डरकर पीछे नहीं हटना चाहिए। हर मुश्किल को धैर्य और साहस से पार करना जरूरी है। असफलता को हतोत्साहित न मानकर, उसे एक अवसर समझकर निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। बिना मेहनत के सफलता नहीं मिलती। इसलिए हमें लगातार मेहनत करते रहना चाहिए क्योंकि कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती।
VIII. कविता की अंतिम पंक्तियाँ याद करें:
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक सफल न हो, चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम।
कुछ किए बिना जय-जयकार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती।
IX. अनुरूप शब्द लिखिए:
मेहनत : परिश्रम :: कोशिश : प्रयास
चढ़ना : उतरना :: हारना : जीतना
स्वीकार : इनकार :: चैन : बेचैन
सिंधु : समुद्र :: हाथ : कर
X. विभिन्न क्षेत्रों में सफलता पाने वाले व्यक्तियों के नाम:
क्रमांक | क्षेत्र | प्रसिद्ध व्यक्ति |
1 | क्रिकेट | सचिन तेंदुलकर |
2 | कला | राजा रवि वर्मा |
3 | सिनेमा | डॉ. विष्णु वर्धन |
4 | चिकित्सा | डॉ. देवी शेट्टी |
5 | विज्ञान | डॉ. सी. एन. आर. राव |
6 | साहित्य | डॉ. चंद्रशेखर कंबार |
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती [Koshish Karne Walo Ki Haar Nahi Hoti] Summary
सोहनलाल द्विवेदी हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि हैं। उनका जन्म 23 फरवरी 1906 को हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एम.ए. और एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की। अपनी जीविका के लिए वे जमींदारी और बैंकिंग के कार्य से जुड़े रहे। वर्ष 1938 से 1942 तक वे राष्ट्रीय दैनिक ‘अधिकार’ के संपादक रहे। इसके अलावा, उन्होंने बिना वेतन के बाल पत्रिका ‘बाल-सखा’ का संपादन भी किया।
गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाएँ लिखीं, जिसके लिए उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि दी गई। सोहनलाल द्विवेदी का निधन 1988 में हुआ। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘भैरवी’, ‘वासवदत्ता’, ‘कुणाल’, ‘पूजागीत’, ‘विषपान’, ‘युगाधार’, और ‘जय गांधी’ शामिल हैं। वे बाल साहित्य के भी महत्वपूर्ण कवि रहे, जिनकी प्रमुख रचनाएँ ‘बाँसुरी’, ‘झरना’, ‘बिगुल’, ‘बच्चों के बापू’, ‘दूध बताशा’, ‘बाल भारती’, ‘शिशु भारती’, ‘नेहरू चाचा’, ‘सुजाता’, ‘प्रभाती’ हैं।
कविता का आशय:
यह कविता हमें यह सिखाती है कि लगातार प्रयास करने वाले कभी असफल नहीं होते। जीवन में आने वाली असफलताओं से घबराकर पीछे नहीं हटना चाहिए, बल्कि अपनी कमियों को पहचान कर उन्हें सुधारते हुए दृढ़ निश्चय से आगे बढ़ना चाहिए।
कविता का सारांश:
- नौका लहरों से डर कर कभी समुद्र पार नहीं कर सकती। जीवन में भी हमें चुनौतियों से डरना नहीं चाहिए। छोटी-छोटी चींटी जब दाना लेकर दीवार पर चढ़ती है तो वह कई बार गिरती है, पर हार नहीं मानती। उसका आत्मविश्वास उसे बार-बार प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। अंततः उसकी मेहनत सफल होती है। यही संदेश है कि जो प्रयास करते रहते हैं, वे कभी हारते नहीं।
- गोताखोर जब समुद्र में मोती खोजने के लिए डुबकी लगाता है, कई बार वह खाली हाथ लौटता है। फिर भी उसका उत्साह कम नहीं होता, बल्कि बढ़ जाता है। अंततः वह मोती लेकर लौटता है। इससे पता चलता है कि लगातार प्रयास करने वाला असफल नहीं हो सकता।
- असफलता को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करें। अपनी कमियों को पहचानें और उन्हें दूर करें। तब तक आराम न करें जब तक सफलता न मिल जाए। संघर्ष का रास्ता छोड़कर भागना उचित नहीं है। बिना मेहनत के कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं होती। जो लोग लगातार प्रयास करते हैं, उनकी कभी हार नहीं होती।