Class 10 Hindi Chapter 7

SSLC Hindi Question and Answer: Tulsi Ke Dohe

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Karnataka SSLC Hindi Textbook Answers—Reflections Chapter 7

Tulsi Ke Dohe Questions and Answers, Notes, and Summary

Class 10 3rd Language Hindi Chapter 7

Tulsi Ke Dohe

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I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

Question 1.
तुलसीदास मुख को क्या मानते हैं?
Answer:
तुलसीदास मुख को मुखिया मानते हैं, जो खाने-पीने का काम अकेले करता है पर जिससे सारे अंगों का पालन-पोषण होता है.

Question 2.
मुखिया को किसके समान रहना चाहिए?
Answer:
मुखिया को मुख के समान रहना चाहिए.

Question 3.
हंस का गुण कैसा होता है?
Answer:
हंस का गुण यह है कि वह पानी को छोड़कर दूध को ग्रहण करता है, अर्थात वह दोषों को छोड़कर गुणों को अपनाता है.

Question 4.
मुख किसका पालन-पोषण करता है?
Answer:
मुख शरीर के सभी अंगों का पालन-पोषण करता है.

Question 5.
दया किसका मूल है?
Answer:
दया धर्म का मूल है.

Question 6.
तुलसीदास किस शाखा के कवि हैं?
Answer:
तुलसीदास हिंदी साहित्य के भक्तिकाल की रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं.

Question 7.
तुलसीदास के माता-पिता का नाम क्या था?
Answer:
तुलसीदास के पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी था.

Question 8.
तुलसीदास के बचपन का नाम क्या था?
Answer:
तुलसीदास के बचपन का नाम ‘रामबोला’ था.

Question 9.
पाप का मूल क्या है?
Answer:
पाप का मूल अभिमान है.

Question 10.
तुलसीदास के अनुसार विपत्ति के साथी कौन हैं?
Answer:
तुलसीदास के अनुसार विद्या, विनय, विवेक, साहस, सुकृति और सत्यव्रत विपत्ति के साथी हैं.

II. दोतीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :

Question 1.
मुखिया को मुख के समान होना चाहिए। कैसे?

Answer:
मुखिया को मुख के समान होना चाहिए क्योंकि जिस तरह मुख अकेले भोजन करता है, लेकिन उससे शरीर के सभी अंगों का पालन-पोषण होता है, उसी तरह मुखिया को भी विवेकवान होकर काम स्वयं करना चाहिए, लेकिन उसका फल सभी में बाँटना चाहिए.

Question 2.
मनुष्य को हंस की तरह क्या करना चाहिए?
Answer:
मनुष्य को हंस की तरह दोषों (विकारों) को छोड़कर अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए, क्योंकि संसार में गुण-दोष दोनों व्याप्त हैं.

Question 3.
मनुष्य के जीवन में प्रकाश कब फैलता है?

Answer:
मनुष्य के जीवन में प्रकाश तब फैलता है जब वह राम नाम का जाप करता है, ठीक वैसे ही जैसे दोहरी पर दीपक रखने से घर के भीतर और आँगन में प्रकाश फैल जाता है.

III. अनुरूपता :
  1. दया : धर्म का मूल :: पाप : अभिमान का मूल
  2. परिहरि : त्यागना :: करतारा : सृष्टिकर्ता
  3. जिह : जीभ :: दोहरि : दीपक रखने का स्थान
IV. भावार्थ लिखिए :

Question 1.
मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक | पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक ||

Answer:
भावार्थ: इन दोहों में तुलसीदास कहते हैं कि मुखिया को मुख (मुँह) के समान होना चाहिए। जिस प्रकार मुख अकेले ही खाने-पीने का काम करता है, लेकिन उससे शरीर के सभी अंगों का पालन-पोषण होता है, उसी प्रकार मुखिया को भी विवेकपूर्ण होना चाहिए कि वह काम स्वयं करे, लेकिन उसका फल सभी में बाँटे.

Question 2.
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक | साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसो एक ||

Answer:
भावार्थ: इन दोहों में तुलसीदास जी कहते हैं कि मनुष्य पर जब विपत्ति आती है, तब विद्या, विनय और विवेक ही उसके साथी होते हैं. जो राम पर भरोसा करता है, वह साहसी, सत्यव्रती और अच्छे कर्मों वाला बनता है.

V. जोड़कर लिखिए :
  1. विश्व कीन्ह – करतारा
  2. परिहरि वारि – विकार
  3. जब लग घट – में प्राण
  4. सुसत्यव्रत – राम भरोसो एक
VII. पूर्ण कीजिए :
  1. मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक |
  2. पाले पोसे सकल अंग, तुलसी सहित विवेक ||
  3. राम नाम मनि दीप धरूँ, जिह देहरी द्वार |
  4. तुलसी भीतर बाहेरौ, जो चाहसि उजियार ||
VIII. उचित विलोम शब्द पर सही (√) का निशान लगाइए:
  1. विवेक | सेवक | अविवेक (√)
  2. दया | निर्दया (√) | शुभोदया
  3. धर्म | मर्म | अधर्म (√)
  4. विकार | अविकार (√) | संस्कार
  5. विनय | सविनय | अविनय (√)

तुलसी के दोहे  [Tulsi ke dohe] Summary

Class 10 3rd Language Hindi Chapter 7 तुलसी के दोहे
Class 10 3rd Language Hindi Chapter 7 तुलसी के दोहे

कवि परिचय:

गोस्वामी तुलसीदास (1532-1623) हिंदी साहित्य के भक्तिकाल की रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि माने जाते हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के राजापुर में आत्माराम और हुलसी जी के घर हुआ। ऐसा कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने जन्म लेते ही ‘राम’ नाम का उच्चारण किया था, इसलिए उनका बचपन का नाम ‘रामबोला’ पड़ा। तुलसीदास भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त थे। उनकी प्रमुख कृतियाँ – ‘रामचरित मानस’, ‘विनय-पत्रिका’, ‘गीतावली’, ‘दोहावली’ और ‘कवितावली’ हैं। सन् 1623 में उन्होंने काशी (वाराणसी) में देह त्याग किया।

दोहों का आशय:

गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने दोहों में भक्ति, नैतिकता, और जीवन-दर्शन को बहुत सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। इन दोहों में विवेकपूर्ण आचरण, संतों के गुण, दया का महत्व, विपत्ति में भगवान पर भरोसा, और आंतरिक-बाह्य शुद्धता जैसे विषयों को सहज और सटीक भाषा में समझाया गया है।

दोहों का सारांश / भावार्थ:

1) मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक।
पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक

इस दोहे में तुलसीदास जी ने मुख और मुखिया के स्वभाव की समानता बताई है। जैसे मुख अकेला खाता-पीता है लेकिन वह भोजन पूरे शरीर के सभी अंगों को पोषित करता है, उसी तरह मुखिया (नेता/संचालक) को भी विवेकपूर्वक ऐसा काम करना चाहिए, जिससे समाज के सभी लोग समान रूप से लाभान्वित हों।

2) जड़ चेतन, गुणदोषमय, विस्व कीन्ह करतार।
संतहंस गुण गहहिं पय, परिहरि वारि विकार

तुलसीदास जी इस दोहे में संतों की तुलना हंस पक्षी से करते हैं। उन्होंने कहा कि सृष्टिकर्ता ने इस संसार को जड़-चेतन और गुण-दोषों से युक्त बनाया है। जैसे हंस दूध और पानी को अलग कर केवल दूध ग्रहण करता है, वैसे ही संत इस संसार में केवल गुणों को ही अपनाते हैं, दोषों को छोड़ देते हैं।

Class 10 3rd Language Hindi Chapter 7 तुलसी के दोहे
Class 10 3rd Language Hindi Chapter 7 तुलसी के दोहे

3) दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया छाँडिये, जब लग घट में प्राण

तुलसीदास जी कहते हैं कि दया धर्म की जड़ (मूल) है, जबकि अभिमान पाप का कारण बनता है। इसलिए जब तक हमारे भीतर प्राण हैं, तब तक हमें दया का साथ नहीं छोड़ना चाहिए और अहंकार को त्याग देना चाहिए।

4) तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसो एक

इस दोहे में तुलसीदास जी बताते हैं कि संकट के समय विद्या, विनम्रता और विवेक ही सच्चे साथी होते हैं। इसके साथ ही साहस, सच्चे कर्म और सत्य के व्रत तथा भगवान श्रीराम पर भरोसा ही मनुष्य को सहारा देते हैं।

5) राम नाम मनि दीप धरु जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहिरौ जो चाहसी उजियार

यहाँ तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस प्रकार द्वार पर दीपक रखने से घर के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रकाश फैलता है, उसी तरह जीभ पर राम-नाम रूपी दीपक को रखकर जप करने से मनुष्य के मन और शरीर, दोनों का अंधकार मिट जाता है और उजाला फैलता है।

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