SSLC Hindi Question and Answer : Gillu
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Karnataka SSLC Hindi Textbook Answers—Reflections Chapter 3
Gillu Questions and Answers, Notes, and Summary
Class 10 3rd Language Hindi Chapter 3
Gillu
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I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
Question 1.
लेखिका ने कौए को क्यों विचित्र पक्षी कहा है?
Answer :
लेखिका ने कौए को विचित्र पक्षी कहा है क्योंकि वह एक साथ समादृत, अनादृत, अति सम्मानित और अति अवमानित है.
Question 2.
गिलहरी का बच्चा कहाँ पड़ा था?
Answer:
गिलहरी का बच्चा गमले और दीवार की संधि में छिपा पड़ा था.
Question 3.
लेखिका ने गिल्लू के घावों पर क्या लगाया?
Answer:
लेखिका ने गिल्लू के घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया.
Question 4.
वर्मा जी गिलहरी को किस नाम से बुलाती थीं?
Answer:
वर्मा जी गिलहरी को गिल्लू नाम से बुलाती थीं.
Question 5.
गिलहरी का लघु गात किसके भीतर बंद रहता था?
Answer:
गिलहरी का लघु गात एक लंबे लिफाफे के भीतर बंद रहता था.
Question 6.
गिलहरी का प्रिय खाद्य क्या था?
Answer:
गिलहरी का प्रिय खाद्य काजू था.
Question 7.
लेखिका को किस कारण से अस्पताल में रहना पड़ा?
Answer:
लेखिका को मोटर-दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा.
Question 8.
गिलहरी गर्मी के दिनों में कहाँ लेट जाता था?
Answer:
गिलहरी गर्मी के दिनों में लेखिका के पास रखी सुराही पर लेट जाता था.
Question 9.
गिलहरियों की जीवन अवधि सामान्यतया कितनी होती है?
Answer:
गिलहरियों की जीवन-अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती.
Question 10.
गिलहरी की समाधि कहाँ बनाई गई है?
Answer:
गिलहरी की समाधि सोनजूही की लता के नीचे बनाई गई है.
II.दो–तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:
Question 1.
लेखिका को गिलहरी किस स्थिति में दिखाई पड़ी?
Answer:
लेखिका को एक दिन सवेरे कमरे से बरामदे में आकर एक गमले के चारों ओर कौए छुवा-छुवौल जैसा खेल खेलते हुए दिखे. गमले और दीवार की संधि में एक छोटा-सा गिलहरी का बच्चा छिपा पड़ा था, जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा था और कौए उसमें सुलभ आहार खोज रहे थे.
Question 2.
लेखिका ने गिल्लू के प्राण कैसे बचाए?
Answer:
लेखिका ने घायल गिल्लू को हौले से उठाकर अपने कमरे में लाई. फिर रुई से रक्त पोंछकर घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया. कई घंटों के उपचार के उपरांत उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका.
Question 3.
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
Answer:
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता था और फिर उसी तेजी से उतरता. यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती.
Question 4.
वर्मा जी को चौंकाने के लिए गिल्लू कहाँ-कहाँ छिप जाता था?
Answer:
वर्मा जी को चौंकाने के लिए गिल्लू कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता था, कभी परदे की चुन्नट में और कभी सोनजूही की पत्तियों में.
Question 5.
गिल्लू ने लेखिका की गैरहाज़री में दिन कैसे बिताए?
Answer:
जब लेखिका अस्पताल में थीं, गिल्लू अपने झूले से उतरकर दौड़ता और फिर किसी दूसरे को देखकर तेजी से अपने घोंसले में जा बैठता. सब उसे काजू दे जाते, पर लेखिका के लौटने पर जब उसने झूले की सफाई की तो उसमें काजू भरे मिले, जिससे ज्ञात होता था कि वह उन दिनों अपना प्रिय खाद्य कितना कम खाता रहा.
III. पाँच–छः वाक्यों में उत्तर लिखिए:
Question 1.
गिल्लू के कार्य-कलाप के बारे में लिखिए।
Answer:
गिल्लू लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। भूख लगने पर चिक-चिक करके सूचना देता और काजू या बिस्कुट मिलने पर लिफाफे से बाहर वाले पंजों से पकड़कर कुतरता रहता। वह लेखिका की थाली में बैठने की कोशिश करता, और थाली के पास बैठकर एक-एक चावल उठाकर खाता। लेखिका की अस्वस्थता में तकिये पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से उनके सिर और बालों को हौले-हौले सहलाता। गर्मी में लेखिका के पास रखी सुराही पर लेट जाता।
Question 2.
लेखिका ने गिलहरी को क्या-क्या सिखाया?
Answer:
लेखिका ने गिल्लू को अपने पास फूल रखने की हल्की डलिया में रुई बिछाकर तार से खिड़की पर लटकाकर उसका घर बनाया. उन्होंने उसे अपनी थाली के पास बैठना सिखाया, जहाँ बैठकर वह एक-एक चावल उठाकर सफाई से खाता था. उन्होंने उसे मुक्त करके खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया ताकि वह बाहर जा सके और गिलहरियों के झुंड का नेता बन सके.
Question 3.
गिल्लू के अंतिम दिनों का वर्णन कीजिए।
Answer:
गिलहरियों की जीवन-अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अतः गिल्लू की जीवन-यात्रा का अंत आ ही गया. दिन भर उसने न कुछ खाया, न वह बाहर गया. उसके पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि लेखिका ने हीटर जलाकर उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया. परंतु प्रभात की प्रथम किरण के साथ ही वह चिर निद्रा में सो गया.
Question 4.
गिल्लू के प्रति महादेवी वर्मा जी की ममता का वर्णन कीजिए।
Answer:
महादेवी वर्मा ने घायल गिलहरी के बच्चे को उठाकर उसका उपचार किया. उन्होंने उसे अपने कमरे में रखा, रुई से रक्त पोंछकर मरहम लगाया और कई घंटों के उपचार के बाद उसे पानी पिलाया. उन्होंने उसे ‘गिल्लू’ नाम दिया और उसके लिए फूलों की डलिया में रुई बिछाकर घर बनाया. वे उसे अपने साथ थाली में खाना सिखाया. जब लेखिका अस्पताल में थीं, गिल्लू ने अपना प्रिय खाद्य काजू कम खाया.
अस्वस्थता में वह तकिये पर बैठकर लेखिका के सिर और बालों को सहलाता. गर्मी में वह सुराही पर लेटकर उनके पास रहता. उनकी ममता इतनी थी कि उन्होंने गिल्लू की समाधि सोनजूही की लता के नीचे बनाई, इस विश्वास से कि वह किसी वासन्ती दिन जूही के पीताभ फूल के रूप में खिल उठेगा.
IV. रिक्त स्थान भरिए :
- यह कौआ भी विचित्र पक्षी है.
- उसी बीच मुझे मोटर–दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा.
- गिल्लू के जीवन का प्रथम वसंत आया.
- मेरे पास बहुत से पशु–पक्षी हैं.
- गिल्लू की जीवन–यात्रा का अंत आ ही गया.
V. अनुरूप शब्द लिखिए :
- 1907 : महादेवी वर्मा जी का जन्म :: 1987 : महादेवी वर्मा जी का निधन
- गुलाब : पौधा :: सोनजूही : लता
- हंस : सफेद :: कौआ : काला
- बिल्ली : म्याऊँ-म्याऊँ :: गिल्लू : चिक–चिक
- कोयल : मधुर स्वर :: कौआ : कर्कश स्वर
VI. कन्नड़ या अंग्रेज़ी में अनुवाद कीजिए :
- कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका।
- Kannada: ಹಲವು ಗಂಟೆಗಳ ಚಿಕಿತ್ಸೆಯ ನಂತರ ಅದರ ಬಾಯಿಗೆ ಒಂದು ಹನಿ ನೀರು ಬಿಡಲು ಸಾಧ್ಯವಾಯಿತು.
- English: After several hours of treatment, a drop of water could be dripped into its mouth.
- बड़ी कठिनाई से मैंने उसे थाली के पास बैठना सिखाया।
- Kannada: ಬಹಳ ಕಷ್ಟದಿಂದ ನಾನು ಅದಕ್ಕೆ ತಟ್ಟೆಯ ಬಳಿ ಕುಳಿತುಕೊಳ್ಳಲು ಕಲಿಸಿದೆ.
- English: With great difficulty, I taught it to sit near the plate.
- गिल्लू मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता था।
- Kannada: ಗಿಲ್ಲು ನನ್ನ ಬಳಿ ಇಟ್ಟಿದ್ದ ಸುರಾಯಿಯ ಮೇಲೆ ಮಲಗುತ್ತಿತ್ತು.
- English: Gillu used to lie down on the pitcher kept near me.
- दिन भर गिल्लू ने न कुछ खाया, न वह बाहर गया।
- Kannada: ದಿನವಿಡೀ ಗಿಲ್ಲು ಏನನ್ನೂ ತಿನ್ನಲಿಲ್ಲ, ಹೊರಗೂ ಹೋಗಲಿಲ್ಲ.
- English: All day long, Gillu neither ate anything nor went outside.
VII. दिए गए सही स्त्रीलिंग शब्दों को चुनकर सम्बन्धित पुल्लिंग शब्द के आगे लिखिए:
(मयूरी, लेखिका, श्रीमती, कुतिया)
उत्तर:
पुल्लिंग स्त्रीलिंग
1. लेखक – लेखिका
2. श्रीमान – श्रीमती
3. मयूर – मयूरी
4. कुत्ता – कुतिया
VIII. खाली जगह भरिए :
- उँगली | उँगलियाँ
- आँख | आँखें
- पूँछ | पूँछें
- खिड़की | खिड़कीयाँ
- फूल | फूल
- पंजा | पंजे
- लिफाफा | लिफाफे
- कौआ | कौए
- गमला | गमले
- घोंसला | घोंसले
IX. उदाहरणानुसार प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिखिए :
- चिपकना | चिपकाना | चिपकवाना
लिखना | लिखाना | लिखवाना
मिलना | मिलाना | मिलवाना
चलना | चलाना | चलवाना - देखना | दिखाना | दिखवाना
भेजना | भेजाना | भिजवाना
खेलना | खिलाना | खिलवाना
देना | दिलाना | दिलवाना - सोना | सुलाना | सुलवाना
रोना | रुलाना | रुलवाना
धोना | धुलाना | धुलवाना
खोलना | खुलाना | खुलवाना - पीना | पिलाना | पिलवाना
सीना | सिलाना | सिलवाना
सीखना | सिखाना | सिखवाना - माँगना | मँगाना | मँगवाना
बाँटना | बँटाना | बँटवाना
माँझना | मँझाना | मँझवाना
जाँचना | जँचाना | जँचवाना
X. विलोम शब्द लिखिए :
निकट × दूर
- दिन × रात
- भीतर × बाहर
- चढ़ना × उतरना
उत्तीर्ण × अनुत्तीर्ण
- उपयोग × अनुपयोगी
- उपस्थिति × अनुपस्थिति
- उचित × अनुचित
विश्वास × अविश्वास
- प्रिय × अप्रिय
- संतोष × असंतोष
- स्वस्थ × अस्वस्थ
ईमान × बेईमान
- होश × बेहोश
- खबर × बेखबर
- चैन × बेचैन
बलवान × बलहीन
- बुद्धिमान × बुद्धिहीन
- शक्तिमान × शक्तिहीन
- दयावान × दयाहीन
धन × बेधन
- जन × निर्जन
- बल × निर्बल
- गुण × निर्गुण
XI. समानार्थक शब्दों को चुनकर लिखिए :
(खाना, शरीर, चिकित्सा, इलाज, देह, तलाश, भोजन, साहस, अचरज, धैर्य, ढूँढ़ना, आश्चर्य) उदा : उपचार | चिकित्सा | इलाज
- गात | शरीर | देह
- आहार | खाना | भोजन
- विस्मय | अचरज | आश्चर्य
- हिम्मत | साहस | धैर्य
- खोज | तलाश | ढूँढ़ना
XII. कारक का नाम लिखिए:
उदा : गमले के चारों ओर – संबंध कारक
- मुँह में एक बूँद पानी – अधिकरण कारक
- गिल्लू को पकड़कर – कर्म कारक
- जीवन का प्रथम वसंत – संबंध कारक
- खिड़की की खुली जाली – संबंध कारक
- मैंने कीलें निकालकर – कर्म कारक
- झूले से उतरकर – अपादान कारक
- सुराही पर लेट जाता – अधिकरण कारक
- कुछ पाने के लिए – संप्रदान कारक
XIII. दी गई शब्द–पहेली से पशु–पक्षियों के नाम ढूँढ़कर लिखिए:

- मोर
- हंस
- कबूतर
- कुत्ता
- कौआ
- गरुड
- बिल्ली
- मयूर
भाषा ज्ञान
I. उदाहरणसहित स्वर संधि के पाँच भेदों का नाम लिखिए
व्यंजन संधि
व्यंजन के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पन्न परिवर्तन को व्यंजन संधि कहते हैं. उदाहरण:
- जगत् + नाथ = जगन्नाथ
- सत् + आचार = सदाचार
- वाक् + मय = वाङ्मय
- वाक् + ईश = वागीश
- षट् + दर्शन = षड्दर्शन
II. संधि विच्छेद करके लिखिए :
- तल्लीन – तत् + लीन
- चिदानंद – चित् + आनंद
- दिगंबर – दिक् + अंबर
- सज्जन – सत् + जन
- सद्गति – सत् + गति
III. स्वर संधि और व्यंजन संधि के शब्दों की सूची बनाइए:
सदाचार, गिरीश, वागीश, इत्यादि, सदैव, नयन, जगन्नाथ, महोत्सव, षड्दर्शन, जगन्मोहन
स्वर संधि | व्यंजन संधिव्यंजन संधि |
गिरीश | सदाचार |
इत्यादि | वागीश |
सदैव | जगन्नाथ |
नयन | षड्दर्शन |
महोत्सव | जगन्मोहन |
गिल्लू [Gillu] Summary
लेखिका का परिचय:
महादेवी वर्मा जी हिंदी साहित्य की महान कवयित्री और लेखिका थीं। उन्हें ‘आधुनिक मीरा’ भी कहा जाता है। उनका जन्म 24 मार्च, 1907 को फरुखाबाद में हुआ। उनके पिता का नाम गोविंद प्रसाद वर्मा और माता का नाम हेमारानी था। उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की और प्रयाग के महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्या रहीं।
महादेवी वर्मा जी ने गद्य और पद्य दोनों विधाओं में लेखन किया। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘यामा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘नीरजा’, ‘नीहार’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’, ‘मेरा परिवार’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ आदि। उन्हें सेक्सरिया पुरस्कार, मंगला प्रसाद पुरस्कार, द्विवेदी पदक तथा ‘यामा’ कृति के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका निधन सितंबर 1987 में हुआ।
पाठ का सारांश:
महादेवी वर्मा जी ने अपने घर के बरामदे में देखा कि दो कौए खेल रहे थे। भारतीय संस्कृति में कौए को विशेष स्थान दिया जाता है, क्योंकि बुजुर्गों की आत्मा कौए के रूप में मानी जाती है। तभी लेखिका ने एक छोटे से गिलहरी के बच्चे को देखा, जो कौओं से डरा-सहमा गमले के पास छुपा था। सबका मानना था कि कौओं के हमले के बाद वह बच्चा जीवित नहीं बचेगा। लेकिन लेखिका को उस पर दया आ गई और उन्होंने उसे उठाकर उसके घावों पर मरहम लगाया। कुछ ही दिनों में वह स्वस्थ हो गया। लेखिका ने उसका नाम ‘गिल्लू’ रख दिया और उसे रूई के बिस्तर वाली एक टोकरी में खिड़की पर लटका दिया।
गिल्लू ने दो वर्षों तक वहीं अपना घर बना लिया। वह अपनी चमकीली आँखों से चारों तरफ सब कुछ देखता रहता। जब लेखिका लिखने बैठतीं, तो गिल्लू उनके आसपास मंडराने लगता। लेखिका कभी-कभी उसे लिफाफे में डाल देतीं, जिससे वह लेखिका की गतिविधियों को और ध्यान से देख सके। भूख लगने पर वह अपनी ‘चिक-चिक’ ध्वनि से संकेत देता और उसे काजू या बिस्कुट खाने को मिलते।
जब गिल्लू एक वर्ष का हुआ, तो बाहर की गिलहरियाँ आकर उसे पुकारने लगीं। लेखिका ने उसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए खिड़की की जाली खोल दी। गिल्लू दिन में बाहर जाकर खूब उछल-कूद करता और शाम चार बजे वापस आकर झूले में झूलने लगता।
लेखिका ने कई पशु-पक्षियों को पाला था, लेकिन गिल्लू ही ऐसा था जो लेखिका की थाली से भोजन करने लगा। उसे काजू बेहद प्रिय थे। यदि उसे काजू न मिलता, तो वह झूले से नीचे नहीं उतरता। एक बार लेखिका अस्पताल में भर्ती रहीं। इस दौरान गिल्लू ने काजू भी कम खाया और लेखिका के सिर के पास बैठकर उनके बाल सहलाता रहा।
गिलहरियों का जीवनकाल दो वर्षों से अधिक नहीं होता। अंततः गिल्लू के अंतिम दिन आ पहुँचे। उसने कुछ भी नहीं खाया और उसके पंजे ठंडे हो गए। लेखिका ने हीटर से गर्मी पहुँचाई, लेकिन सूरज की पहली किरण के साथ ही गिल्लू सदा के लिए सो गया। उसकी समाधि सोनजुही की झाड़ियों के पास बनाई गई, ताकि लेखिका को लगे कि गिल्लू अब फूल बनकर उन्हें संतोष देता रहेगा।