1st PUC Hindi Question and Answer Karnataka State Board Syllabus
1st PUC Hindi Chapter 6 Dil ka Daura our Angina (दिल का दौरा और एनजाइना)
Dil ka Daura our Angina (दिल का दौरा और एनजाइना)
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I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए : Dil ka Daura our Angina
Question 1.
हृदय रोग के दो रूप कौन से हैं?
Answer:
दिल का दौरा और एनजाइना ए दो हृदय के रूप हैं।
Question 2.
दिल का दौरा और एनज़ाइना आम तौर से कितने वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में देखे जाते हैं?
Answer:
आम तौर से दिल का दौरा और एनजाइना 45 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में देखे जाते हैं।
Question 3.
‘मूगा टेस्ट’ किसे कहते हैं?
Answer:
न्यूक्लियर स्कैन से यह पता चलता है कि रोगी के दिल का कितना हिस्सा दौरे की चपेट से बेकार हुआ है। इसे ‘मूगा टेस्ट’ कहते हैं।
Question 4.
कोरोनरी धमनियों में सिकुड़न आने का एक बड़ा कारण क्या हैं?
Answer:
कोरोनरी धमनियों में सिकुड़न आने का एक बड़ा कारण है – उन में बसा जी परत का जम जाना।
Question 5.
क्या बायपास सर्जरी भारत में संभव है?
Answer:
बायपास सर्जरी भारत में अब बहुत अस्पतालो में सफलता पूर्वक किया जा रहा हैं।
Question 6.
हृदय रोगियों के लिए किस तरह का भोजन अच्छा नही
Answer:
तले हे, अधिक वसा वाले भोजन अच्छा नही हैं ।
ii. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। Dil ka Daura our Angina
Question 1.
दिल का दौरा और एनजाइना किसे कहते हैं?
Answer: ए दो रूपक ही हृदय रोग हैं। दो मुख्य कोरोनरी धमनियाँ और उनकी छोटी – बडी बहुत सी शाखाँए। जब कुछ कारणों से उन में सुिकडन आ जाती है तो हृदय को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा नही मिल पाती, पर जब – जब उसे अधिक काम करने की जरूरत पड़ती है, यह स्थिति उसके लिए असहनीय हो जाती हैं। इसे ही एनजाइना कहते हैं। इसका ही उग्र रूप है दिल का दौरा जिसे हार्ट अटैक कहते हैं। हृदय को उर्जा पहुँचाने वाली किसी एक धमनी में एका एक रूकावट आजाने से ही दिल का दौरा पड़ता हैं। उर्जा का निरंतर बहने वाली सूख जाने से हृदय की मांसपेशियाँ क्षकिग्रस्त हो जाती है और ठीक से काम नहीं करती। इस से हृदय की रक्त पंप करने की प्रक्रिया कमजोर पड़ने लगती है, हृदय रूका हुआ हो सकता हैं।
Question 2.
दिल का दौरा और एनजाइना किन कारणों से होता है?
Answer:
(हाई ब्लड प्रेशर) च रक्तचाप, डाइबेटिस, मोटापा, मानसिक तनाव, अधिक मात्रा में धूम्रपान और चरबी बढ़ानेवाले खाध्यों का सेवन, शराब, रक्त में, कोलेस्ट्राल का बढ़ जाना, परिवार के अन्य सदस्यों मे इस रोग का होना, महनत न करना, इस के अलावा व्यक्तित्व का भी रोग से करीबी संबंध पाया हैं। स्वभाव में उग्रता का होना और दुःख में भीतर ही भीतर धुलते रहना। इस तरह लोगों में और इन कारणों से होता हैं।
Question 3.
दिल का दौरा और एनजाइना रोग के प्रमुख लक्षण क्या है?
Answer:
दिल का दौरा का प्रमुख लक्षण – सीमे में बाई ओर प्राणलेवा दर्द उठता हैं। ऐसा महसूस होता है जैसे उसकी छाती पर कोई बहुत भारी चीज रख दी गई हो यह दर्द बाँए कंधे, गर्दन, बाँहे और उंगुलियों के पैरो तक फैलता हैं और जोरों की पसीना छूटना, घबराहट होना, और मितली शिकायत भी होती हैं। एनजाइना का प्रमुख लक्षण – जब रोगी किसी तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहा होता है और सामान्य से अधिक काम करते है तभी ए दर्द उभरता हैं। सीने में बाई और दर्द उठना, भारीपन रहने लगना, बेचैती और चकावर स लगने लगाता हैं।
Question 4.
दिल का दौरा पड़ने पर प्राथमिक उपचार के लिए क्या
Answer:
क्या कदम उठाने चाहिए? . तुरंत पास के डॉक्टर को बुला भेजे। तब तक रोगी को पीठ के बन लिटा दें, उस के कपड़े ढील कर दें और कोई दर्शनाशक दवा दे दें।अगर रोगी के पास साबिट्रिट की गोली हो तो दे दे। – अचानक दौरा पड़ जए और रोगी को पठि के बल सीधा लिए कर उस के सीने की मालिश करें। मुँह से मुँह सटा कर साँस दें। तुरंत मोबालि हृदय चिकित्सा वाहन को बुला भेजे।
Question 5.
“बैलून एजियोप्लास्टी” तकनिक क्या हैं?
Answer:
कोरोनरी धमनियों में सिकुड़न आने का एक बड़ा कारण हैं। रोगी को सामान्य बनाने के लि ही बैलू “एंजियोफ्लास्टी” की जाती हैं।इस में रोगी की टाँग या बाँह की किसी एक धमनी के रास्ते एक लंबी पतली ट्यूब अवरुद्ध हुई कोरोनरी धमनी तक पहुँचा दी जाती हैं। इस ट्यूब के द्वारा फिर ऐसी ट्यूब भीतर डाली जाती है। जिस के छोर पर एक गुब्बार होता हैं। गुब्बारे को कोरोनरी धमनी के सिकडे हुए भाग में पहुँचाकर फुलाय जाता हैं। जिस से धमनी में जमी वसा की परव दब जाती हैं। धमनी पुनः खुल जाती हैं, रक्त बहाव सामान्य हो जाता हैं। सि तकनिक को बैनलू एंजियोप्लास्टी कहते
Question 6.
हृदय रोग से बचने व काबु पाने के लिए क्या – क्या एहातियाब बखने चाहिए।
Answer:
हृदय रोग से बचने व काबु पाने के लिए रोजाना व्यायाम करें और सुबह – शाम की सैर अच्छी हैं। पर ध्यान रहे दिल पर ज्यादा जोर न पड़े। अपने आप पर व वजन पर कड़ी नजर रखें। जिंदगी में मानसिक तनाव को भी दूर रखें। इसे जीवन का अंग मान लें और ठीक समय से दवा लेते रहें।
Question 7.
हार्ट अटेक के रोगी का इलाज किस तरह । किया जाता
Answer:
रोगी के तुरंत अस्मताल पहूँचा जाए ? रुक गई धमनी को बहाल करने के धडकन बिगद हो. तो दव और प्रेसमेकर की जरूरत पड़ सकती है। सबसे पहले रोगी को डॉक्टर कि कडी निगराती मे रहे और दवा आँक्सिजन आदि मिलती रहे । इस प्रकार हार्ट के रोगी का हलाज किया जाता है।
iii. कोष्टक में दिए गए कारक चिन्हों से किक्त स्थान भरिए। Dil ka Daura our Angina
1. उस के सीने…… दर्द उठाने लगता हैं।
2. इसके साथ ही जोतो……. पसीना छूटने लगता हैं।
3. मितली …… शिकायत भी हो सकती हैं।
Answer:
1. में
2. का
3. की
iv. अन्य वचन रूप लिखिए। Dil ka Daura our Angina
1. पसली – पसलीयाँ
2. तंत्रिका – तांत्रिका
3. दवा – दवाईया
4. सीमा – सीमाए
5. धमनी- धमनीयाँ
v. विलोम शब्द लिखिए। Dil ka Daura our Angina
1. पास x दूर
2. नीचे x ऊपर
3. छोटा x बड़ा
4. चैन x वेचैन
5. ज्यादा x कम्
6. समर्थ x असमर्थ
Dil ka Daura our Angina Summary
हम विज्ञान के युग में जी रहे हैं, जहां वैज्ञानिक प्रगति ने जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है, विशेष रूप से चिकित्सा के क्षेत्र में। पहले लाइलाज माने जाने वाले दिल के दौरे और एनजाइना जैसे रोगों का अब प्रभावी इलाज उपलब्ध है। दिल शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, जो रक्त को पूरे शरीर में पंप करता है। जब दिल की धमनियों में रुकावट आती है, तो रक्त प्रवाह बाधित होता है, जिससे दिल का दौरा या एनजाइना हो सकता है।
दिल के दौरे के कारणों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, तनाव, तंबाकू और मद्यपान प्रमुख हैं। यह रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। दिल के दौरे के लक्षणों में सीने में असहनीय दर्द, बाएँ कंधे, गर्दन और बाँह में दर्द, और पसीना आना शामिल हैं।
एनजाइना और दिल के दौरे के निदान के लिए ई.सी.जी., ट्रेडमिल टेस्ट, कोरोनरी एंजियोग्राफी, और न्यूक्लियर स्कैन जैसे टेस्ट किए जाते हैं। बायपास सर्जरी से बाधित धमनियों को ठीक किया जा सकता है।
दिल की बीमारी से बचने के लिए संतुलित आहार, धूम्रपान और मद्यपान से बचना, तनाव को नियंत्रित करना, और रक्तचाप व मधुमेह को नियंत्रण में रखना आवश्यक है। हालांकि दिल की बीमारी गंभीर हो सकती है, लेकिन अब इसका इलाज उपलब्ध है। इसलिए, समय पर हृदय विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है, ताकि बीमारी को रोका जा सके और स्वस्थ जीवन जीया जा सके।