2nd PUC Hindi Question and Answer Karnataka State Board Syllabus
2nd PUC Hindi Chapter 3
Ganga Mayaa Se Sakshatkaar
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I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: लिखिए। Ganga Mayaa Se Sakshatkaar
Question 1
लेखक ने किससे बातचीत की है?
Answer:
लेखक ने गंगा मैया से संवाद किया है।
Question 2
लेखक मकर संक्रांति के दिन कहाँ उपस्थित थे?
Answer:
लेखक मकर संक्रांति के दिन इलाहाबाद में मौजूद थे।
Question 3
माँ कहाँ विराजमान थीं?
Answer:
माँ मंदिर के भीतर विराजमान थीं।
Question 4
माँ के चेहरे पर क्या भाव थे?
Answer:
माँ के चेहरे पर गहरी उदासी के भाव स्पष्ट दिख रहे थे।
Question 5
चर्चा का मुख्य विषय क्या बना हुआ था?
Answer:
चरित्र का संकट चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ था।
Question 6
गंगा मैया ने सत्य को किस रूप में परिभाषित किया है?
Answer:
गंगा मैया ने सत्य को निर्भय और अडिग बताया है।
Question 7
किसका व्यवसायीकरण हो रहा है?
Answer:
धर्म का व्यवसायीकरण तेजी से हो रहा है।
Question 8
असली विवाद किस बात को लेकर है?
Answer:
असली विवाद सत्ता और कुर्सी को लेकर है।
Question 9
मनुष्य के कुकर्मों पर कौन मज़ाक करने लगे हैं?
Answer:
पशु-पक्षी भी अब मनुष्य के कुकर्मों पर हँसने लगे हैं।
Question 10
गंगा मैया ने किसे सबसे शक्तिशाली कहा है?
Answer:
गंगा मैया ने प्रकृति को सबसे शक्तिशाली बताया है।
Question 11
पुनः उत्थान की शुरुआत कब होती है?
Answer:
जब पतन अपने चरम पर पहुँच जाता है, तभी पुनः उत्थान की संभावनाएँ प्रकट होती हैं।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए।Ganga Mayaa Se Sakshatkaar
Question 1
प्रदूषण के बारे में गंगा मैया ने क्या कहा?
Answer:
गंगा मैया ने प्रदूषण को लेकर कहा कि वह स्वयं नहीं समझ पाती कि यह समस्या क्यों बढ़ रही है। जब पूरे देश का माहौल प्रदूषित हो गया है, तो वह भी इससे अछूती नहीं रह सकती। लोग सोचते हैं कि चाहे जैसा भी आचरण करें, गंगा में स्नान से उनके पाप धुल जाएंगे। वास्तव में, प्रदूषण एक प्रकार का छुआछूत का रोग बन गया है। व्यापारी लोग अपने लाभ के लिए दूसरों को परेशान करते हैं और फिर गंगा के पवित्र जल में स्नान करके उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।
Question 2
समाज में कौन-कौन सी समस्याएँ बढ़ रही हैं?
Answer:
आज समाज में चरित्र का ह्रास हो गया है। लोग धर्म को अपने जीवन से अलग कर चुके हैं और धार्मिक ग्रंथों जैसे गीता में बताए गए आदर्शों का पालन नहीं करते। परिणामस्वरूप, समाज में महँगाई, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और अमानवीयता जैसी समस्याएँ लगातार बढ़ रही हैं। धर्म का व्यवसायीकरण होने के कारण ये समस्याएँ और गहराती जा रही हैं।
Question 3
गंगा मैया का कुर्सी से क्या तात्पर्य है?
Answer:
गंगा मैया के अनुसार, राजनीति में कुर्सी शक्ति का प्रतीक है, और इसी के लिए लोग आपस में संघर्ष करते हैं। राजनीतिक दल एक-दूसरे के विरोध में खड़े रहते हैं। गंगा मैया ने कुर्सी का मतलब शक्ति, वैभव, धन, सम्मान, और कीर्ति से जोड़ा है। जब कोई इन चीज़ों का स्वाद चख लेता है, तो उन्हें खोने का डर सताने लगता है। यदि ये छिन जाएँ, तो व्यक्ति ऐसे भटकता है जैसे मजनू लैला के प्रेम में भटकता था।
III. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए। Ganga Mayaa Se Sakshatkaar
Question 1
‘वत्स, देश का वातावरण ही जब प्रदूषित हो गया तब मैं कैसे बच सकती थी।’
Answer:
प्रसंग: यह वाक्य डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी द्वारा रचित पाठ ‘गंगा मैया से साक्षात्कार’ से लिया गया है।
व्याख्या: लेखक गंगा मैया से उनके प्रदूषण के बारे में प्रश्न पूछते हैं। गंगा मैया उदास होकर उत्तर देती हैं कि जब पूरे देश का वातावरण ही दूषित हो गया है, तो वह स्वयं इससे अछूती कैसे रह सकती थीं। लोग अपने कर्मों के प्रति लापरवाह हो गए हैं और अपने आचरण को सुधारने के बजाय गंगा में स्नान करके अपने पाप धोने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार, गंगा भी प्रदूषण का शिकार हो रही है।
Question 2
‘बेटा, शब्दकोशों में उसका नाम शेष है, उपदेशकों के प्रयोग में भी आ रहा है।’
Answer:
प्रसंग: यह वाक्य डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित पाठ ‘गंगा मैया से साक्षात्कार’ से लिया गया है।
व्याख्या: गंगा मैया यह बात लेखक से कहती हैं जब वे चरित्र के पतन पर चर्चा करते हैं। गंगा मैया कहती हैं कि चरित्र अब सिर्फ एक शब्द बनकर रह गया है, जिसका अस्तित्व शब्दकोश और उपदेशों तक सीमित हो गया है। लोग अब केवल दिखावा करते हैं और सच्चे चरित्र को अपने जीवन से अलग कर चुके हैं। यह एक गहरा व्यंग्य है समाज के नैतिक पतन पर।
Question 3
‘सेवाहि परमो धर्म’ के स्थान पर लोग ‘मेवाहि परम धर्म’ कहने लगे हैं।’
Answer:
प्रसंग: यह वाक्य डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी द्वारा रचित पाठ ‘गंगा मैया से साक्षात्कार’ से लिया गया है।
व्याख्या: गंगा मैया इस वाक्य के माध्यम से समाज के स्वार्थी स्वभाव की आलोचना करती हैं। उनका कहना है कि पहले सेवा को सर्वोच्च धर्म माना जाता था, लेकिन अब लोग केवल अपने लाभ की सोचते हैं। समाज ने सेवा का महत्व खो दिया है और हर कोई सिर्फ अपनी जरूरतों और इच्छाओं की पूर्ति में लगा हुआ है। इस विचारधारा ने मानवता और नैतिकता का स्थान स्वार्थ को दे दिया है।
Question 4
‘एक बार जब जबान पे चढ़ जाए तो फिर कुछ अच्छा नहीं लगता।’
Answer:
प्रसंग: यह वाक्य डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी के पाठ ‘गंगा मैया से साक्षात्कार’ से लिया गया है।
व्याख्या: गंगा मैया यह वाक्य राजनीति में कुर्सी की लालसा के संदर्भ में कहती हैं। वह समझाती हैं कि कुर्सी यानी सत्ता, वैभव और सम्मान की चाहत इतनी तीव्र हो जाती है कि यह मनुष्य को अंधा कर देती है। यह लालसा ऐसा प्रभाव डालती है कि व्यक्ति अपने जीवन के अन्य महत्वपूर्ण मूल्यों को भूलकर सिर्फ कुर्सी पाने की होड़ में लग जाता है।
Question 5
‘पतन की जब पराकाष्ठा हो जाती है तभी पुनः उत्थान की किरणें फूटती हैं।’
Answer:
प्रसंग: यह वाक्य डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी द्वारा रचित पाठ ‘गंगा मैया से साक्षात्कार’ से लिया गया है।
व्याख्या: गंगा मैया यह बात समाज के पतन और पुनः उत्थान के संदर्भ में कहती हैं। वह बताती हैं कि जब पाप, अन्याय और अधर्म अपने चरम पर पहुँच जाते हैं, तब ही किसी महापुरुष का उदय होता है, जो समाज को पुनः सही दिशा में ले जाता है। यह वाक्य प्रकृति की शक्ति और संतुलन बनाए रखने की उसकी क्षमता को भी दर्शाता है।
IV. वाक्य शुद्ध कीजिए Ganga Mayaa Se Sakshatkaar
Question 1.
मैंने जाकर माँ की चरण छुए।
Answer:
मैंने जाकर माँ के चरण छुए।
Question 2.
वह एक दिन मेरा पास आया था।
Answer:
वह एक दिन मेरे पास आया था।
Question 3.
उसे किसी की डर नहीं है।
Answer:
उसे किसी का डर नहीं है।
Question 4.
पाशविकता बढ़ता चला जा रहा है।
Answer:
पाशविकता बढ़ती चली जा रही है।
Question 5.
मैंने कभी भेदभाव नहीं की।
Answer:
मैंने कभी भेदभाव नहीं किया।
गंगा मैया से साक्षात्कार GANGA MAIYA SE SAKSHATKAR Summary
लेखक **डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी** एक दिन इलाहाबाद में थे। उन्हें गंगा मैया से साक्षात्कार लेने का विचार आया। वे गंगा मैया से मिलने मंदिर पहुंचे, जहां वह उदास और अकेली बैठी थीं। लेखक ने उनसे साक्षात्कार की अनुमति मांगी, क्योंकि उनके मन में कई प्रश्न थे।
लेखक ने सबसे पहले गंगा से प्रदूषण के बारे में सवाल पूछा। उन्होंने सुना था कि गंगा का पानी भी प्रदूषित हो गया है। इस पर गंगा मैया ने कहा कि जब पूरा देश प्रदूषण से ग्रसित हो गया है, तो उनके लिए प्रदूषण से बचना संभव नहीं है। लोग गंगा में स्नान करके अपने पापों को धोने की कोशिश करते हैं, लेकिन इसके कारण उनके जल को भी गंदा कर देते हैं।
गंगा मैया ने कहा कि आज का समाज चरित्रहीन होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि लोग सेवा से भी दूर हो गए हैं। धर्म का व्यापारीकरण हो गया है, और लोग केवल अपने स्वार्थ के लिए ही चीजें करने लगे हैं।
गंगा मैया ने राजनीति और सत्ता संघर्ष के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि कुर्सी (पावर) के लिए लोग आपस में लड़ते हैं। कुर्सी का मतलब है – पैसा, नाम, वैभव, और शक्ति। जैसे ही किसी को इसका स्वाद चढ़ता है, वह अन्य चीजों से बेपरवाह हो जाता है, जैसे मजनू ने लैला के लिए पागलपन दिखाया था।
गंगा मैया ने यह भी बताया कि गरीबों का शोषण बढ़ता जा रहा है, महंगाई हर जगह है, और लोग अब गीता के उपदेशों से दूर हो गए हैं।
गंगा मैया ने अपनी बहन **कावेरी** से हुई बातचीत का भी उल्लेख किया। कावेरी ने उन्हें बताया कि एक व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद एक सांप ने आत्महत्या कर ली थी। इसके अलावा, लेखक ने एक ऐसी घटना का भी जिक्र किया कि एक बेटे ने अपनी मां की हत्या संपत्ति के लिए की।
गंगा मैया के अनुसार, इन सभी घटनाओं और सामाजिक समस्याओं की स्थिति चरम पर है। उन्होंने कहा कि हर बार जब समाज पतन की स्थिति में पहुंचता है, तब एक परिवर्तन की किरणें फूटती हैं।
उनका मानना था कि हर संकट के बाद समाज में बदलाव और सुधार होता है, जो आने वाले भविष्य का रास्ता तय करता है।