2nd PUC Hindi Chapter 2

2nd PUC Hindi Question and Answer Karnataka State Board Syllabus

2nd PUC Hindi Chapter 2

Kartavya Aur Satyata 

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Kartavya Aur Satyata I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए।

Question 1.
हम लोगों का परम धर्म क्या है?
Answer:
हमारा परम धर्म यह है कि हम अपना कर्तव्य निभाएँ।

Question 2.
कर्तव्य निभाने की शुरुआत सबसे पहले कहाँ होती है?
Answer:
कर्तव्य निभाने की शुरुआत सबसे पहले घर से होती है।

Question 3.
कर्तव्य किस पर आधारित होता है?
Answer:
कर्तव्य का आधार न्याय होता है।

Question 4.
कर्तव्य निभाने से क्या लाभ होता है?
Answer:
कर्तव्य निभाने से सम्मान बढ़ता है।

Question 5.
धर्म का पालन करने में सबसे बड़ी बाधा क्या है?
Answer:
धर्म का पालन करने में सबसे बड़ी बाधा चित्त की चंचलता, उद्देश्य की अस्थिरता, और मन की निर्बलता है।

Question 6.
यदि मन अधिक समय तक दुविधा में रहे, तो क्या हो सकता है?
Answer:
यदि मन अधिक समय तक दुविधा में रहे, तो स्वार्थपरता उसे घेर सकती है।

Question 7.
झूठ बोलने का क्या परिणाम होता है?
Answer:
झूठ बोलने से कोई भी काम नहीं बनेगा, और सभी लोग दुखी हो जाएँगे।

Question 8.
किसे सर्वोच्च स्थान दिया जाना चाहिए?
Answer:
सत्य को सर्वोच्च स्थान देना उचित है।

Question 9.
सत्य बोलने वाला व्यक्ति किससे दूर रहता है?
Answer:
सत्य बोलने वाला व्यक्ति आडंबर से दूर रहता है।

Question 10.
किससे सभी लोग घृणा करते हैं?
Answer:
जो सभी को मूर्ख बनाने की कोशिश करता है, उसकी पोल खुलने पर सभी लोग उससे घृणा करते हैं।

Kartavya Aur Satyata II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

Question 1.
घर और समाज में मनुष्य का जीवन किन-किन के प्रति कर्तव्यों से भरा हुआ है?

Answer:
कर्त्तव्य की शुरुआत सबसे पहले घर से होती है, जहाँ लड़कों का कर्त्तव्य अपने माता-पिता के प्रति और माता-पिता का कर्त्तव्य बच्चों के प्रति होता है। इसके अतिरिक्त, पति-पत्नी, स्वामी-सेवक, और स्त्री-पुरुष के बीच भी कई परस्पर कर्तव्य होते हैं। घर के बाहर, मित्रों, पड़ोसियों, और समाज के अन्य सदस्यों के प्रति भी कर्तव्य निभाए जाते हैं। इस प्रकार, मनुष्य का जीवन विभिन्न कर्तव्यों से परिपूर्ण होता है।

Question 2.
मन की शक्ति कैसी होती है?

Answer:
मन में एक ऐसी शक्ति होती है, जो हमें बुरे कामों से रोकती है और अच्छे कामों की ओर प्रवृत्त करती है। जब मनुष्य कोई गलत कार्य करता है, तो भले ही कोई कुछ न कहे, वह स्वयं लजाता है और उसके मन में दुःख होता है। हमारी आत्मा हमें धिक्कारती है। इसके विपरीत, जो व्यक्ति गलत काम नहीं करता, वह हमेशा प्रसन्न रहता है और उसके मन में कोई डर या पछतावा नहीं होता।

Question 3.
धर्म का पालन करने के मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ आती हैं?

Answer:
धर्म का पालन करने में सबसे बड़ी बाधाएँ चित्त की चंचलता, उद्देश्य की अस्थिरता, और मन की निर्बलता होती हैं। मनुष्य के कर्त्तव्य के मार्ग में आत्मा के भले और बुरे कामों का ज्ञान और आलस्य एवं स्वार्थपरता दोनों उपस्थित होते हैं। मनुष्य इन्हीं दो के बीच में संघर्ष करता है। यदि उसका मन दृढ़ होता है, तो वह आत्मा की आज्ञा मानकर अपने धर्म का पालन करता है। यदि वह कुछ समय तक द्विविधा में रहा, तो स्वार्थपरता उसे घेर लेगी और उसका चरित्र निंदनीय हो जाएगा।

Question 4.
अंग्रेज़ी जहाज के समुद्र में डूबने के समय पुरुषों ने कैसे अपना धर्म निभाया?

Answer:
जब अंग्रेज़ी जहाज में छेद हो गया और वह डूबने की स्थिति में आ गया, तब उसमें यात्रा कर रही स्त्रियों को बचाने के लिए उन्हें नावों में बैठाया गया। पुरुष जहाज की छत पर चले गए, लेकिन फिर भी जहाज डूब गया। इस प्रकार, पुरुषों ने अपने प्राणों की चिंता किए बिना स्त्रियों और बच्चों को बचाने का कर्तव्य निभाया। उन्होंने अपने प्राण देकर महिलाओं और बच्चों के जीवन की रक्षा को अपना धर्म समझा।

Question 5.
झूठ की उत्पत्ति और उसके विभिन्न रूपों के बारे में लिखिए।

Answer:
झूठ की उत्पत्ति मुख्यतः पाप, कुटिलता, और कायरता से होती है। कई लोग अपने सेवकों को खुद झूठ बोलना सिखाते हैं। लोग नीति और आवश्यकता का बहाना बनाकर झूठ की रक्षा करते हैं। कुछ लोग झूठ बोलने को अपनी चतुराई समझते हैं और सत्य को छिपाकर धोखा देने में गर्व महसूस करते हैं। झूठ बोलने के कई रूप होते हैं, जैसे चुप रहना, किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना, किसी चीज़ को छिपाना, भेद बदलना, झूठ-मूठ दूसरों की बातों से सहमत होना, प्रतिज्ञा करके उसे पूरा न करना, और सत्य को न बोलना आदि।

Question 6.
मनुष्य का परम धर्म क्या है? उसकी रक्षा कैसे करनी चाहिए?

Answer:
मनुष्य का परम धर्म है कि सत्य बोलना सबसे श्रेष्ठ माना जाए और कभी भी झूठ न बोला जाए, चाहे इससे कितनी भी हानि क्यों न हो। सत्य बोलने से समाज में हमारा सम्मान बढ़ता है, और हम आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकते हैं। सच्चे व्यक्ति को सभी पसंद करते हैं, जबकि झूठे से सब घृणा करते हैं। यदि सभी लोग सत्य बोलने को अपना धर्म मानें, तो कर्तव्य पालन में कोई कठिनाई नहीं होगी, और वे बिना किसी परिश्रम और कठिनाई के हमेशा संतुष्ट और सुखी रहेंगे।

Question 7.
‘कर्तव्य पालन और सत्यता के बीच घनिष्ठ संबंध है।’ स्पष्ट कीजिए।

Answer:
कर्तव्य पालन करते समय मनुष्य अपने कार्यों और वचनों में सत्यता को बनाए रखता है। वह उचित समय पर सही तरीके से अच्छे कार्य करता है। सत्यता एक ऐसी मूल्य है जिससे मनुष्य अपने कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है। क्योंकि कोई भी कार्य झूठ बोलने से सफल नहीं हो सकता। लोग सत्य को छिपाकर धोखा देने के प्रयास में अपने कर्तव्यों से भी बचते हैं। इस प्रकार, कर्तव्य और सत्य का गहरा संबंध है।

Kartavya Aur Satyata III. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए।

Question 1.
‘जिधर देखो उधर कर्त्तव्य ही कर्त्तव्य देख पड़ते हैं।’

Answer:
प्रसंग: यह वाक्य डॉ. श्यामसुंदर दास के पाठ “कर्तव्य और सत्यता” से लिया गया है।

व्याख्या: लेखक इस वाक्य में यह बताना चाहते हैं कि कर्तव्य का आरंभ सबसे पहले घर से होता है। घर में, एक-दूसरे के प्रति जैसे माता-पिता के प्रति बच्चों का, और पति के प्रति पत्नी का कर्तव्य होता है। इसके साथ ही, घर के बाहर समाज के प्रति, मित्रों और पड़ोसियों के प्रति भी हमारे कुछ कर्तव्य होते हैं। इस प्रकार, ऐसा प्रतीत होता है कि हमारा जीवन कर्तव्यों से भरा पड़ा है।

Question 2.
‘कर्त्तव्य करना न्याय पर निर्भर है।’

Answer:
प्रसंग: यह वाक्य भी डॉ. श्यामसुंदर दास के पाठ “कर्तव्य और सत्यता” से लिया गया है।

व्याख्या: लेखक इस वाक्य में बताते हैं कि कर्तव्य निभाने की शुरुआत अक्सर दबाव के कारण होती है, क्योंकि बहुत से लोग इसे करना नहीं चाहते। लेकिन जब लोग न्याय को समझते हैं, तो वे अपने कर्तव्यों को प्रेम और समर्पण के साथ निभाने लगते हैं। अपने कर्तव्यों का पालन करना ही हमारा धर्म है, जिससे हमारे चरित्र की शोभा बढ़ती है।

Question 3.
‘इसलिए हमारा यह धर्म है कि हमारी आत्मा हमें जो कहे, उसके अनुसार हम करें।’

Answer:
प्रसंग: यह वाक्य डॉ. श्यामसुंदर दास के पाठ “कर्तव्य और सत्यता” से लिया गया है।

व्याख्या: लेखक इस वाक्य में यह बताते हैं कि हमारे मन में एक ऐसी शक्ति होती है, जो हमें बुरे कामों से रोकती है और अच्छे कामों की ओर हमारी प्रवृत्ति को झुकाती है। जब हम गलत काम करते हैं, तो हमारी आत्मा हमें धिक्कारती है। इसलिए, हमें उन कामों से दूर रहना चाहिए जिनसे हमारा मन हिचकिचाता है। हमें अपने कर्तव्य का पालन करते रहना चाहिए।

Question 4.
‘इसी प्रकार जो लोग स्वार्थी होकर अपने कर्त्तव्य पर ध्यान नहीं देते, वे संसार में लज्जित होते हैं और सब लोग उनसे घृणा करते हैं।’

Answer:
प्रसंग: यह वाक्य डॉ. श्यामसुंदर दास के पाठ “कर्तव्य और सत्यता” से लिया गया है।

व्याख्या: लेखक इस वाक्य में फ्रांस के डूबते जहाज़ का उदाहरण देते हैं। वे बताते हैं कि कुछ लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए बच्चों और स्त्रियों को जहाज पर ही मरने के लिए छोड़ दिया। ऐसे नीच कार्यों के कारण उनकी पूरे संसार में निंदा हुई। इन लोगों ने अपने कर्तव्यों पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए उन्हें लज्जित होना पड़ा और लोग उनसे घृणा करने लगे।

Question 5.
‘सत्य बोलने ही से समाज में हमारा सम्मान हो सकेगा और हम आनंदपूर्वक अपना समय बिता सकेंगे।’

Answer:
प्रसंग: यह वाक्य डॉ. श्यामसुंदर दास के पाठ “कर्तव्य और सत्यता” से लिया गया है।

व्याख्या: लेखक इस वाक्य में मनुष्य के जीवन में कर्तव्य के महत्व को बताते हैं। वे कहते हैं कि हमारा परम धर्म है सत्य बोलना, भले ही इससे कितनी हानि क्यों न हो। अगर हम हमेशा सत्य बोलने को अपना धर्म मानते हैं, तो कर्तव्य पालन में कोई कठिनाई नहीं होगी। इस तरह, हम कभी भी किसी के सामने लज्जित नहीं होंगे और आनंदपूर्वक अपना समय बिता सकेंगे।

Kartavya Aur Satyata IV. वाक्य शुद्ध कीजिए।

Question 1.
मन में ऐसा शक्ति है।
Answer:
मन में ऐसी शक्ति है।

Question 2.
तुम तुम्हारे धर्म का पालन करो।
Answer:
तुम अपने धर्म का पालन करो।

Question 3.
उसे दिखावा नहीं रुचती है।
Answer:
उसे दिखावा नहीं रुचता है।

Question 4.
लोगों ने झूठी चाटुकारी करके बड़े-बड़े नौकरियाँ पा लीं।
Answer:
लोगों ने झूठी चाटुकारी करके बड़ी-बड़ी नौकरियाँ पा लीं।

Question 5.
मनुष्य के जीवन कर्तव्य से भरा पड़ा है।
Answer:
मनुष्य का जीवन कर्त्तव्य से भरा पड़ा है।

Kartavya Aur Satyata Summary

2nd PUC Hindi Kartavya Aur Satyata
2nd PUC Hindi Kartavya Aur Satyata

“कर्तव्य और सत्यता” का सारांश:


“कर्तव्य और सत्यता” डॉ. श्यामसुंदर दास द्वारा लिखा गया एक महत्वपूर्ण पाठ है, जिसमें उन्होंने कर्तव्य और सत्य के बीच के गहरे संबंध को उजागर किया है। लेखक ने बताया है कि कर्तव्य का पालन हर व्यक्ति का धर्म है, जो पहले अपने घर से शुरू होता है। घर में परिवार के सदस्यों के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन आवश्यक होता है, जैसे माता-पिता के प्रति बच्चों का कर्तव्य और पति-पत्नी के बीच का समर्थन।

लेखक ने यह भी बताया है कि सत्य बोलना जीवन का सर्वोत्तम धर्म है, क्योंकि समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा इसी से प्राप्त होती है। जब लोग अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और सत्य बोलते हैं, तो वे न केवल स्वयं के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक आदर्श स्थापित करते हैं। इसके विपरीत, स्वार्थी और कर्तव्य न निभाने वाले व्यक्ति समाज में लज्जित होते हैं और उनसे घृणा की जाती है।

सारांश में, डॉ. दास ने कर्तव्य, सत्यता, और उनके बीच के संबंध को गहराई से समझाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सत्य और कर्तव्य का पालन करने से ही व्यक्ति का और समाज का विकास संभव है।

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