1st PUC Hindi Question and Answer Karnataka State Board Syllabus
1st PUC Hindi Chapter 7 Meri Badrinath Yatra (मेरी बद्रीनाथ यात्रा)
Meri Badrinath Yatra (मेरी बद्रीनाथ यात्रा)
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I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए : Meri Badrinath Yatra
Question1.
कालिदास ने हिमालय को क्या कहा हैं?
Answer:
कालिदास ने हिमालय को नगाधिराज कहा हैं।
Question 2.
यात्रा के नियम के अनुसार लेखक पहले कहाँ गये?
Answer:
यात्रा के नियम के अनुसार लेखक पहले केदारनाथ गये।
Question 3.
केदारनाथ की शति – ऋतु को राजधानी का नाम क्या है?
Answer:
उषीमठ, केदारनाथ की शीत – ऋतु की राजधानी हैं।
Question 4.
सबसे ऊँचे स्थान पर बना हुआ मंदिर कौन – सा है?
Answer:
सबसे ऊँचे स्थान पर बना हुआ मंदिर तुंगनाथ हैं।
Question 5.
आठ वर्ष की प्यारी बची का नाम क्या है?
Answer:
आठ वर्ष की प्यारी बच्ची का नाम सध्या हैं।
Question 6.
जोषीमठ से बद्रीनाथ कतिने मील की दूरी पर है?
Answer:
जोषीमठ से बद्रीनाथ 25 मील की दूरी पर हैं।
Question 7.
किस पेड़ के नीचे बैठकर प्रतिमापुंज शंकर ने उपनिषदों पर टीकाएँ लिखी थी?
Answer:
कीमू अर्थात शहबूत इस पेड़ के नीचे बैठकर प्रतीभापुंज शंकर ने उपनिषदों पर टीकाँए लिखी थी।
Question 8.
बदरीनारायण मंदिर कितने फूट की ऊँचाई पर है?
Answer:
बदरीनारायण मंदिर 10,480 फूट की ऊँचाई पर हैं।
ii. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। Meri Badrinath Yatra
Question 1.
हिमालय की विशेषता का वर्णन कीजिए।
Answer:
हिमालय सदा बर्फ से हुआं यह पर्वत संसार का सब से ऊँचे पर्वत हैं। सबसे सुन्दर भी हैं। इस के आँचल में सदानीरा गंगाँए निरन्तर अलख जगती रहती हैं। यँहा हिंसक पशुओ के साथ कस्तूरी मृग रहता हैं। उत्तुंग हिम शिखरों की रजत चोटियें सूर्य किरणों का मुकुट पहनकर, इन्द्र धनुषों निर्माण करती हैं। फिर क्षण में ठण्डे कुहरे के सफेदी खो जाती हैं। यँहा पहुँचकर अकदि, भी कवि, अदाशानिक, दार्शनिक बन जाता हैं।
Question 2.
बद्रीनाथ यात्रा में लेखक और उन के साथियों की दिनचर्या लिखिए।
Answer:
हम प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उठते थे। बिस्वर समेहते, नित्यकर्म से छुट्टी पावे और भारवाहकों को सामान सौंपकर चार बजे तक आगे बढ़ जाते थे। बिजली की रोशनी में जीनेवाले हम लोग जैसे उस प्रदेश के प्राकृतिक प्रकाश में राहत पा लेते थे। इस तरह प्रतिदिन 12 से 14 मील तक चलते थे। इस तरह लेखक की यात्रा की दिनचर्या।
Question 3.
तुंगनाथ शिखर के सौंदर्य के संबंध में लेखक ने क्या कहा हैं?
Answer:
12,080 फूट ऊँचे इस शिखर से हिम शिखरे का जो भव्य दृश्य लेखक जी को मिला, वे कहते है – वह अपूर्व था। लेखक जी फिर शिखर का वर्णन करते हुए कहते है – पहले उषा और फिर सूरज की किरणों की स्पर्श से, प्रकृति झट से अंगडी लेकर उठ बैठी। हेर शिखर स्मित हास्य से जैसे अप्सराँए खिलखिला उठी हो;. उनकी इन्द्रधनुषी साड़ी हवा में उड़ने लगी हो। हर तरह के फूल झूम – झूमकर नाचने लगे। पक्षी संगीत संजोने लगे। इस तरह तुंगनाथ शिखर के सौंदर्य के संबंध में लेखक ने कहाँ।
Question 4.
बद्रीनाथ की घाटी का चित्रण कीजिए।
Answer:
बद्रीनाथ की घाटी में केदारनाथ की घाटी – जैसा सौन्दर्य नही। यँहा अलकानंद का रूप जाल हैं। कभी वह गम्भीर गति से गर्जन करती हैं। कभी ऊँचे से गिरकर प्रपात बनाती हैं। कभी पावान मे बहती हैं। तो कभी मार्ग को छू लेती हैं। कई जगह बर्फ नीचे इधर – उधर धाराँए भाग रही थी। जैसे नटखट बालक गुरुजनो के घेरे को वोडकर शोर मचाते हुए भाग निकलते हैं। इस तरह बद्रिनाथ की घाटी का चित्रण की हैं।
Question 5.
बद्रीनारायण मंदिर की विशेषता पर प्रकाश डालिए।
Answer:
10,480 पूट की ऊँचाई पर बना बद्रीनारा , यह मंदिर कहा जाता है, आध्य शंकराचार्य ने स्थापित किया था। उस ‘ पहले का कहानी पता नही। यँहा भयंकर तुफानों ने इस मन्दिर को किया होगा, मानव ने फिर से बनाता रहा। सरल भक्ति का प्रकृति , वैभव का उस में एक आकर्षण हैं। और भी पवित्र शिलाँए, धाराँए और कुण्ड मोह: इस शीत प्रदेश में तप्त कुण्ड का पानी इतना गर्म है कि हाथ से छू ने का साह रही दोला यह है बद्रीनारायण मंदिर की विशेषता।
iii. निम्नलिखित वाक्य किस ने किस से कहें? Meri Badrinath Yatra
Question 1.
अरे बिच्छू – बिच्छू !
Answer:
प्रस्तुत वाक्य को एक वयोवृद्ध सज्जन चिल्ला कर बोले। अपने साथ आए हुए यात्रियों से कहा।
Question 2.
कहिए, दिल जम गया या बच गया।
Answer:
इस वाक्य को लेखक जी ने कहा। अपने एक मित्र से कहा।
Question 3.
मंजिल पर पहुंच जाने पर रोमांच हो ही आता है।
Answer:
इस वाक्य को लेखक ने कहा। लेखक ने पाठकों से कहा।
Question 4.
यात्रा का यह अस्थायी स्नेह भी कितना पवित्र होता है।
Answer:
इस वाक्य को लेखक ने कहा। लेखक ने पाठकों से कहा।
iv. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए। Meri Badrinath Yatra
Question 1.
एसे प्रदेश में पहुंचकर अकवि भी कवि और अदार्शनिक भी दार्शनिक बन जाता हैं।
Answer:
संदर्भ : प्रस्तुत वाक्य को मेरी बद्रीनाथ यात्रा इस पाठ से लिया गया लेखक हे – विष्णु प्रभाकर। स्पष्टीकरण : लेखक बद्रीनाथ यात्रा पर गये थे। और वंहा की वर्णन करते हुए कहते है – हिमालय के इस सब से सुंदर इस के आंचल में सदा नीश गंगाएँ – सदा अगोचर जगाती हैं। यंहा पल भर में उत्तुंग हिम – शिखरों की रजत चोहियाँ सूर्य किरणों का ताज पहनकर, इन्द्रधनुषो का निर्माण होता हैं। लेखक कहते है, ऐसे प्रदेश में पहुँचकर अकवि भी कवि और आदर्शनीय भी दार्शनिक बन जाता हैं।
Question 2.
यह मार्ग अपेक्षाकृत भयानक है, इसलिए इसका सौंदर्य भी अभी अछंता हैं।
Answer:
संदर्भ : इस वाक्य को मेरी बद्रीनाथ यात्रा पाठ से लिया गया हैं। लेखक है – विष्णु प्रभाकर। स्पष्टीकरणं : लेखक कहते है. यात्रा के नियम के अनुसार पहले हल लोग केदारनाथ गये। वहा से लौटते हुए बीच में से हम एक ऐसा मार्ग पर मुड गये। यह मार्ग अपेक्षा से भी अधिक भयानक है, कहते है इसलिए इसका सौंदर्य भी अभी अछूता हैं
Question 3.
हाय राम, वह तो सचमुच बिच्छू लग रहा था, पर वह चलता – क्यों नही?
Answer:
संदर्भ : प्रस्तुत वाक्य को मेरी बद्रीनाथ यात्रा इस पाठ से लिया गया हैं। लेखक है विष्णु प्रभाकर। स्पष्टीकरण : लेखक कहते हम यात्रा करते समय हम में से कोई हँसी मजाक भी करते। एक दिन एक वयोवृद्ध सज्जन चिल्लाकर, रे बिच्छू – बिच्छू वे सभी चौंक गाये थे। वह बिच्छू नहीं था। लेकिन बिच्छू जैसा ही लंगरहा था कहते लगे. हय राम, वह तो. सचमुच बिच्छू लग रहा था, पर वह चलता क्यों नहीं?
Question 4.
जम कैसें सकता था, हमने वहा पानी लगने नही दिया।
Answer:
संदर्भ : प्रस्तुत वाक्य को मेरी बद्रीनाथ यात्रा इस पाठ से लिया गया हैं। लेखक है विष्णु प्रभाकर। स्पष्टीकरण : विष्ण प्रभाकर जी कहते है – यात्रा में हर कहीं पानी रकत को जमा देना हैं। कहते है, एक बार ऐसे ही स्थान पर बेचारे एक सज्जन नहाने गये थे। लौटे तो बुरी तरह काँप रहे थे। इन्होने दिलका हाल पुछा तो बोले जमां कैसे सकता था, वहा हम ने पानी लगने ही नही दिया।
Question 5.
वह आकर्षण है – सरल भक्ति का, प्रकृति के वैभव का।
Answer:
संदर्भ : प्रस्तुत वाक्य को मेरी बद्रीनाथ यात्रा इस पाठ से लिया गया हैं। लेखक है विष्णु प्रभाकर। स्पष्टीकरणं : लेखक कहना चाहते है – बदरी नारायण मंदिर जो आध्य शंकराचार्य ने स्थापित किया था। भयंकर तुफानों ने इस मन्दिर को नष्ट किया, वर्तमान मन्दिर कला की नजर से देखे तो कोई महत्व नही, . फिर भी उस में एक आकर्षण हैं। कहते है वह आकर्षण है सरल भक्ति का, प्रकृति के वैभव का।.
v. वाक्य शुद्ध कीजिए। Meri Badrinath Yatra
Question 1.
हम प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उठता था।
Answer:
हम प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उठते थे।
Question 2.
“वह तो सचमुच बिच्छू लग रही थी।
Answer:
वह तो सचमुच बिच्छू लग रहा था।
Question 3.
लेकिन ये कथाएं कंहा तक कहा जाए।
Answer:
लेकिन ये कथाए कँहा तक कही जाँए।
Question 4.
मंदिर में पूजा हो रहा था।
Answer:
मंदिर में पूजा हो रही थी।
vi. ‘कोष्टक में दंएि गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान भरिए। Meri Badrinath Yatra
1. मंजिलं …………….. पहँच जाने पर रोमांच हो ही आता हैं।
2. कहते है कि प्रचीन काल में भगवान ……………… नर – नारायण के रूप में यहाँ तप किया था।
3. दवदारू …………….. पेड़ भी इधर बहुत है।
4. तीन दिन तक हम उस प्रदेश …………….. वैभव देखते रहे।
Answer:
1. पर
2. ने
3. के.
4. का
vii. निम्नलिखित वाक्यों को सूचना के अनुसार बदलिए। Meri Badrinath Yatra
Question 1.
हम प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उछते थे। (वर्तमान में बदलिए)
Answer:
हम प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उठते हैं। ।।
Question 2.
अधिकांश यात्री पैदल चलते हैं। (भविष्यत काल में बदलिए)
Answer:
अधिकंश यात्री पैदल चलेंगे।
Question 3.
बद्रीनतिः हमें पुकार रहे हैं। (बूतकाल में बदलिए)
Answer:
बद्रीमः हमें पुकार रहे थे।
viii. अन्य लिंग रूप लिखिए। Meri Badrinath Yatra
1. बालक – बालिका
2. भक्त – भक्तिन
3. कवि – कवईत्री
4. भगवान – देवी
5. वृद्ध – बूढ़ी
ix. अन्य वचन रूप लिखिए। Meri Badrinath Yatra
1. रानी – रानीयाँ
2. यात्रा – यात्राएँ
3. दर्शन – दर्शन
4. ऋतु – ऋतु
5. कहानी – कहानीयाँ
6. चोटी – चोटीयाँ
7. भाषा – भाषाए
x. विलोम शब्द लिखिए। Meri Badrinath Yatra
1. आगे x पीछे
2. ऊँचा x गरहा.
3. उठना x बैटना
4. उतार x चढ़ाव
xi. निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। Meri Badrinath Yatra
इसी गरूड गंगा से पाताल गंगा की चढ़ाई आरंभ होती हैं। गंगा सचमुच पावाल में है और किनारे का पहाड हमेशा टूटता रहता हैं। सड़क के नाम पर पगाडंडी इतनी सँकरी और टेढ़ी – मेढ़ी है जैसे काली भयानक घटा में बिजली की चमका लेकिन सुना जाता है, कि इसी प्रदेश में पार्वती ने शिव से विवाह करने के लिए तप किया था। वर्षों पन्ते साकर रही थी। इसीलिए आज भी यह पर्णखंड या पैखंडा कहलाता हैं।
यही कहानियाँ सुनते – सुनते हम जोषीमठ जा पहुँचे। यँहा से बद्रीनाथ केवल 25 मील रह जाता हैं। यह आध्य शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मढों में से एक हैं। यहा पर हमने कीमू अर्थात शहतूत का वह पेड देखा, जिस के बारे में सुना जाता है कि उसके नीचे बैठकर प्रतिभापुंज शंकर ने उपनिषदों पर टीखाएँ लिखी थी। नीचे छोडा सा कस्बा हैं। उस में भी कई मंदिर हैं। इन मंदिरों में जो मूर्तियाँ है उन में से कई जला की दृष्टि से बडी सुन्दर हैं।
Question 1.
पाताल गंगा की चढ़ाई कहाँ से आरंभ होती है?
Answer:
पाताल गंगा की चढ़ाई गरुड गंगा से आरंभ होती हैं।
Question 2.
पार्वती ने किस से विवाह करने के लिए तप किया था?
Answer:
पार्वती ने शिव से विवाह करने के लिए तप किया था।
Question 3.
जोषीमठ से बद्रीनाथ कितने मील की दूरी पर हैं?
Answer:
जोषीमठ से बद्रीनाथ 25 मील की दूरी पर हैं।
Question 4.
जोषीमठ की स्थापना किसने की थी?
Answer:
जोषीमठ की स्थापन आध्य शंराचार्य ने की थी।
Question 5.
शंकराचार्य ने उपनिषदों पर टीकाए किस पेड़ के नीचे बैठक लिखी थी?
Answer:
शंकराचार्य ने उपनिषदों पर टीकाए कीम् अर्थात शहतूत पेड के नी बैठकर लिखी थी।
Meri Badrinath Yatra Summary
यह यात्रा वृत्तांत हिमालय की सुरम्य प्रकृति और बद्रीनाथ की यात्रा का वर्णन करता है। लेखक अपने कुछ साथियों के साथ सितम्बर-अक्टूबर के महीने में हिमालय की यात्रा पर निकलते हैं। हिमालय की भव्यता और प्राकृतिक सौंदर्य मन को मोह लेता है, जहां गंगा के विभिन्न रूप, गरुड़ गंगा, विष्णु गंगा, पांडुकेश्वर मंदिर, शहतूत के वृक्ष, कुबेर शिला आदि दर्शनीय स्थल देखने को मिलते हैं।
यात्रा हरिद्वार से शुरू होती है और पीपलकोटी, उषीमठ, तुंगनाथ मंदिर होते हुए आगे बढ़ती है। यह यात्रा प्रतिदिन 12 से 18 किलोमीटर पैदल चलकर की जाती है, और यात्रा के कठिन उतार-चढ़ाव के बावजूद किसी को थकान नहीं होती। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, और चौखंबा जैसे रजत-शिखर सूर्य की रोशनी में चमकते हुए दिखाई देते हैं। गरुड़-गंगा से पाताल गंगा की कठिन चढ़ाई प्रारंभ होती है, जहां संकरी और टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडी से गुजरना पड़ता है।
यात्रा के दौरान जोषीमठ से बद्रीनाथ, विष्णुप्रयाग, पांडुकेश्वर, और कुबेर शिला जैसे स्थान आते हैं। बद्रीनाथ का मंदिर 10,480 फुट की ऊँचाई पर स्थित है, जो अपनी सरल भक्ति और प्रकृति के वैभव के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के तप्त कुंड का पानी इतना गर्म होता है कि हाथ डालने का साहस करना कठिन होता है।
यात्रा के अंत में, लेखक अपने यात्रा दल के साथ हिमालय की सुंदरता और भक्ति के आकर्षण का आनंद लेते हैं। इसी यात्रा का वर्णन “मेरी बद्रीनाथ यात्रा” में किया गया है।