1st PUC Hindi Question and Answer: Siliya
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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers—Reflections Chapter 28
Siliya Questions and Answers, Notes, and Summary
1st PUC Hindi Chapter 28
SILIYA
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I. एक शब्द में उत्तर लिखिए : SILIYA
Question 1:
नानी शैलजा को किस नाम से पुकारती थी?
Answer:
नानी शैलजा को सिलिया नाम से पुकारती थी।
Question 2:
सन् 1970 में सिलिया कौन-सी कक्षा में पढ़ रही थी?
Answer:
सन् 1970 में सिलिया ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रही थी।
Question 3:
किनकी बातों को सुनकर सिलिया के मन में आत्मविश्वास जाग उठा?
Answer:
अपनी माँ की बातें सुनकर सिलिया के मन में आत्मविश्वास जाग उठा।
Question 4:
मालती ने किस मुहल्ले के कुएँ से पानी निकालकर पिया था?
Answer:
मालती ने गाडरी मुहल्ले के कुएँ से पानी निकालकर पिया था।
Question 5:
सिलिया किस दौड़ में प्रथम आयी थी?
Answer:
सिलिया लंबी दौड़ और कुर्सी दौड़ में प्रथम आई थी।
Question 6:
हेमलता ठाकुर सिलिया के साथ किस कक्षा में पढ़ती थी?
Answer:
हेमलता ठाकुर सिलिया के साथ पाँचवीं कक्षा में पढ़ती थी।
Question 7:
जहाँ चाह होती है, वहाँ क्या बनने लगती है?
Answer:
जहाँ चाह होती है, वहाँ राह अपने-आप बनने लगती है।
Question 8:
प्रतिष्ठित साहित्य संस्था ने किसको सम्मानित किया?
Answer:
प्रतिष्ठित साहित्य संस्था ने दलित कन्या, समाजसेवी, कवयित्री और प्रसिद्ध लेखिका सिलिया को सम्मानित किया।
अतिरिक्त प्रश्न: SILIYA
Question 9:
मामी की बेटी का नाम क्या है?
Answer:
मामी की बेटी का नाम मालती है।
Question 10:
शैलजा किसके लिए सिल्लोरानी थी?
Answer:
शैलजा माँ और पिता जी के लिए सिल्लोरानी थी।
Question 11:
‘सिलिया’ कहानी की लेखिका कौन हैं?
Answer:
‘सिलिया’ कहानी की लेखिका डॉ. सुशीला टाकभौरे हैं।
Question 12:
सिलिया की सहेली का नाम लिखिए।
Answer:
सिलिया की सहेली का नाम हेमलता है।
Question 13:
सिलिया देश के कोने-कोने में जाकर कौन-सा कार्य करने लगी?
Answer:
सिलिया देश के कोने-कोने में जाकर सामाजिक जागृति का कार्य करने लगी।
Question 14:
हिंदी अखबार ‘नई दुनिया’ में किसने विज्ञापन किया?
Answer:
हिंदी अखबार ‘नई दुनिया’ में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के युवा नेता सेठी जी ने विज्ञापन किया।
Question 15:
गंभीर, सीधे, सरल स्वभाव की आज्ञाकारी लड़की कौन है?
Answer:
सिलिया गंभीर, सीधे, सरल स्वभाव की आज्ञाकारी लड़की है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। SILIYA
Question 1:
हिन्दी अखबार ‘नई दुनिया’ में छपे विज्ञापन के बारे में लिखिए।
Answer:
सन् 1970 की बात है, जब सिलिया ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थी। इसी दौरान उसके विवाह को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी। उसी वर्ष हिन्दी अखबार ‘नई दुनिया’ में एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ – “शूद्रवर्ण की वधू चाहिए।” इस विज्ञापन में मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध युवा नेता सेठीजी ने घोषणा की थी कि वह एक दलित कन्या से विवाह करके समाज में एक मिसाल पेश करना चाहते हैं। उनकी केवल एक शर्त थी कि लड़की कम-से-कम मैट्रिक पास हो।
Question 2:
सिलिया की माँ ने गाँव वालों की सलाह को क्यों नहीं माना?
Answer:
गाँव के कई पढ़े-लिखे लोगों और ऊँची जाति के व्यक्तियों ने सिलिया की माँ को यह सलाह दी कि वह सिलिया का फोटो और विवरण सेठीजी को भेज दे। उनका कहना था कि सिलिया के गुण और शिक्षा को देखते हुए उसकी शादी सेठीजी से होने पर उसका भविष्य उज्ज्वल हो जाएगा। लेकिन सिलिया की माँ ने उनकी बात नहीं मानी।
उन्होंने घरवालों को समझाते हुए कहा, “यह बड़े लोगों के खेल हैं। शादी तो कर लेंगे, पर बाद में अगर छोड़ दिया तो हमारी बेटी का क्या होगा? हमारी इज्जत और उसका भविष्य दोनों खत्म हो जाएँगे। हमें अपनी बेटी को समाज में ही रखना है, जहाँ वह हमारी देखरेख में रह सके। अपनी पहचान और सम्मान समाज में रहकर भी बनाए जा सकते हैं।”
माँ की दृढ़ता और सोच ने सिलिया के मन में आत्मविश्वास और साहस भर दिया।
Question 3:
सिलिया के स्वभाव का परिचय दीजिए।
Answer:
सिलिया एक साँवली-सलौनी, मासूम और भोली स्वभाव की लड़की थी। वह सरल, गंभीर और आज्ञाकारी थी। अपनी उम्र से बड़ी दिखने वाली सिलिया को उसकी सहेलियाँ कभी-कभी छेड़तीं और मजाक करतीं, लेकिन वह इन बातों को अनदेखा कर देती थी। सिलिया अपने स्वाभिमान और आत्मसम्मान को लेकर सजग थी। जाति आधारित भेदभाव को लेकर उसके मन में गुस्सा और विरोध की भावना थी। वह इस भेदभाव को पूरी तरह खत्म करना चाहती थी। सिलिया अपनी माँ से अक्सर कहती, “मैं शादी नहीं करूँगी। मैं पढ़ाई में आगे बढ़कर अपना नाम कमाऊँगी।” वह किसी के सामने झुकने के बजाय अपने पैरों पर खड़े होने का सपना देखती थी।
Question 4:
हेमलता की मौसी ने सिलिया के साथ कैसा बर्ताव किया?
Answer:
हेमलता, जो सिलिया की सहेली थी, एक बार सिलिया को अपने साथ अपनी मौसी के घर ले गई। जब सिलिया ने पानी का गिलास उठाया, तो मौसी ने उसका परिचय पूछते हुए जाति के बारे में जानकारी ली। हेमलता ने धीरे से उसकी जाति बता दी। जाति का नाम सुनते ही मौसी थोड़ी असहज हो गईं। उन्होंने सिलिया से गाडरी मुहल्ले के बारे में पूछा और फिर बड़े नपे-तुले अंदाज में कहा, “कोई बात नहीं बेटी, भैया तुम्हें साइकिल से वहाँ छोड़ आएगा।” इसके बाद मौसी ने बिना कुछ कहे पानी का गिलास ले लिया और अंदर चली गईं। मौसी का यह व्यवहार सामाजिक भेदभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
Question 5:
सिलिया ने मन ही मन क्या दृढ़ संकल्प किया?
Answer:
सिलिया ने अपने मन में ठान लिया कि वह अपनी शिक्षा को जारी रखेगी और अपने जीवन को उस स्तर तक ले जाएगी, जहाँ वह समाज में अपनी पहचान बना सके। उसने निश्चय किया कि वह उन सामाजिक कुरीतियों और परंपराओं की जड़ों तक पहुँचेगी, जिन्होंने उसके जैसे लोगों को अछूत बना रखा है। उसने अपने ज्ञान, बुद्धि, और विवेक से यह साबित करने का इरादा किया कि वह किसी से कम नहीं है। अपनी माँ और नानी के सामने उसने दृढ़ता से कहा, “मैं शादी नहीं करूँगी। मुझे आगे पढ़ना है और अपने जीवन को सफल बनाना है।”
Question 6:
सिलिया ने अपने संकल्प को किस प्रकार साकार किया?
Answer:
सिलिया ने खुद को समाज के लिए एक प्रेरणा बनाने का निर्णय लिया। उसने सोचा कि वह एक चिंगारी है, जो मशाल बनकर अपने समाज को प्रगति का मार्ग दिखाएगी। उसने यह ठान लिया कि अपने प्रयासों से वह समाज में जागरूकता लाएगी और लोगों को उनके अधिकारों के प्रति सजग बनाएगी। उसके दृढ़ निश्चय और मेहनत ने उसे उसकी मंजिल तक पहुँचाया।
वर्षों की मेहनत के बाद, सिलिया ने देशभर में सामाजिक जागरूकता का कार्य किया। लगभग बीस वर्षों के बाद, एक प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ने उसे देश की राजधानी के एक बड़े सभागृह में सम्मानित किया। दलित मुक्ति आंदोलन की प्रेरक, समाजसेवी, कवयित्री और लेखिका सिलिया को मंत्री महोदय ने शाल, सम्मान पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। यह सम्मान सिलिया के अटूट संकल्प और संघर्ष का प्रमाण था।
अतिरिक्त प्रश्नःSILIYA
Question 7:
सिलिया की शादी के बारे में उसकी माँ को लोगों ने क्या सलाह दी?
Answer:
‘नई दुनिया’ नामक हिन्दी अखबार में एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ था जिसमें लिखा था – ‘शूद्रवर्ग की वधू चाहिए’। यह विज्ञापन एक प्रतिष्ठित व्यक्ति, सेठीजी, ने अपनी शादी के लिए दिया था। गाँव के कई लोग सिलिया की माँ को समझाने लगे, “सिलिया पढ़ाई में होशियार है और समझदार भी है। तुम उसका फोटो और जानकारी भेज दो। सेठीजी जैसे बड़े आदमी से शादी होने पर सिलिया का भविष्य चमक उठेगा। वह बड़े घर की रानी बन जाएगी।” इस तरह के सुझाव देकर वे सिलिया की माँ को राजी करने का प्रयास करते रहे।
Question 8:
मालती के स्वभाव का परिचय दीजिए।
Answer:
मालती, सिलिया के मामा की बेटी, स्वभाव में साहसी और निडर थी। वह सिलिया की उम्र की ही थी लेकिन उसमें अधिक हिम्मत और दृढ़ता थी। उसे चुनौतियों का सामना करना पसंद था, और वह अक्सर उन कामों को करने का साहस दिखाती थी जिन्हें करने से उसे मना किया जाता था। उसका जुझारूपन और जोखिम उठाने की प्रवृत्ति उसे दूसरों से अलग बनाती थी।
सिलिया [SILIYA] Summary
डॉ. सुशीला टाकभौरे एक दलित हिंदी लेखिका हैं। अपनी कहानी “सिलिया” में उन्होंने एक दलित लड़की सिलिया के जीवन संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक गाथा प्रस्तुत की है।
सिलिया का असली नाम शैलजा था, लेकिन प्यार से उसके माता-पिता उसे ‘सिलिया’ या ‘सिल्लो रानी’ कहकर पुकारते थे। सिलिया एक अछूत समुदाय से संबंधित थी और मैट्रिक की परीक्षा की तैयारी कर रही थी। वह न केवल पढ़ाई में, बल्कि खेल-कूद में भी बहुत कुशल थी। वह अपने स्कूल की खो-खो टीम की कप्तान थी।
सिलिया को अपने निम्न जाति से जुड़े सामाजिक मान-सम्मान और भेदभाव का पूरा एहसास था। कम उम्र में ही उसने सामाजिक रीति-रिवाजों और परंपराओं को अच्छी तरह समझ लिया था।
एक बार, ‘नई दुनिया’ नामक अखबार में एक विज्ञापन छपा, जिसमें भोपाल के एक प्रसिद्ध युवा नेता ने मैट्रिक पास दलित लड़की से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की थी। विज्ञापन में लड़की के माता-पिता की जानकारी और पते के साथ संपर्क करने के लिए कहा गया था। शहर के लोग और रिश्तेदारों ने सिलिया के माता-पिता को सलाह दी कि वे उसका फोटो और अन्य जानकारी भेज दें। लेकिन सिलिया के माता-पिता चाहते थे कि वह अपनी उच्च शिक्षा पूरी करे और समाज में एक नाम कमाए। सिलिया की भी यही इच्छा थी कि वह जितना हो सके पढ़ाई करे।
अपने स्कूल के दिनों में सिलिया को कई बार अपमानित किया गया। वह इस स्थिति को बदलना चाहती थी। उसका उद्देश्य दलित समुदाय का उत्थान करना और उनके लिए सम्मानजनक स्थिति लाना था। वह सिर ऊँचा करके जीना चाहती थी।
बहुत मेहनत और संघर्ष के बाद, सिलिया ने उच्च शिक्षा प्राप्त की। उसने शादी नहीं की और ‘दलित मुक्ति आंदोलन’ की सदस्य बन गई। लगभग बीस वर्षों तक उसने दलितों के उत्थान और भलाई के लिए दिन-रात काम किया। सिलिया ने अपने tireless प्रयासों से एक प्रसिद्ध लेखिका, वक्ता और दलित मुक्ति आंदोलन की प्रमुख सदस्य के रूप में पहचान बनाई।
दिल्ली में सिलिया के सम्मान में एक समारोह आयोजित किया गया, जहाँ मंत्री जी ने उन्हें सम्मानित किया। पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उस दलित महिला, सिलिया, के चेहरे पर विजय और आत्मसम्मान की चमक साफ दिखाई दे रही थी।
सिलिया लेखिका परिचय [SILIYA Writer Introduction]
डॉ. सुशीला टाकभौरे का जन्म 4 मार्च 1954 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के बानापुर गाँव में हुआ। उनकी माता पन्नाबाई और पिता रामप्रसाद घावरी थे। अपनी माता की प्रेरणा और अथक परिश्रम के बल पर उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए। उनकी कहानियाँ यथार्थ और सामाजिक संवेदनाओं पर आधारित होती हैं।
प्रमुख कृतियाँ:
कहानी संग्रह: ‘टूटता वहम’, ‘अनुभूति के घेरे’, ‘संघर्ष’
काव्य संग्रह: ‘स्वाति बूंद और खारे मोती’, ‘यह तुम भी जानो’, ‘तुमने उसे कब पहचाना’, ‘हमारे हिस्से का सूरज’
नाटक: ‘रंग और व्यंग्य’, ‘नंगा सत्य’
डॉ. टाकभौरे को कई संस्थाओं ने सम्मानित किया है। उनकी कृतियों पर कई विश्वविद्यालयों में शोधकार्य भी जारी है। वर्तमान में वे महाराष्ट्र के नागपुर स्थित ‘सेठ केसरीमल पोरवाल कॉलेज’, कामठी में कार्यरत हैं।
कहानी का आशय
“जहाँ चाह होती है, वहाँ राह खुद बनने लगती है।” इस विचार को साकार करती यह कहानी समाज में नारी शिक्षा और दृढ़ संकल्प के महत्व को उजागर करती है। कहानी की प्रमुख पात्र, सिलिया, न केवल समाज में अपने लिए एक सम्मानजनक स्थान बनाती है, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनती है। अपने जीवन की कठिनाइयों और भेदभाव का सामना करते हुए, सिलिया ‘झाड़ू’ के प्रतीक को त्यागकर ‘कलम’ का महत्व समझती है। शिक्षा और संकल्प के माध्यम से वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करती है और पूरे समाज के लिए आदर्श बन जाती है।
स्त्री शिक्षा और दृढ़ संकल्प की प्रेरणा देने के उद्देश्य से इस कहानी को चुना गया है।