1st PUC Hindi Question and Answer: TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE
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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers—Reflections Chapter 19
TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE Questions and Answers, Notes, and Summary
1st PUC Hindi Chapter 19
TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE
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I. एक शब्दा में उत्तर लिखिए : TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE
Question 1:
बच्चन जी ने किस प्रकार के गीत बनाए?
Answer:
बच्चन जी ने गूंजते और विलीन हो जाने वाले गीतों की रचना की।
Question 2:
कवि बच्चन जी ने क्या लुटाया?
Answer:
कवि बच्चन जी ने अपनी कविताओं का कोष लुटाया।
Question 3:
कवि बच्चन क्या खोकर रंक हुए?
Answer:
कवि बच्चन अपनी व्यक्तिगत निधि खोकर रंक हो गए।
Question 4:
दुनिया कैसी है?
Answer:
दुनिया स्नेह और ममता से भरी हुई है।
Question 5:
कवि बच्चन का जीवन कैसे बीता?
Answer:
कवि बच्चन का जीवन कठिनाइयों और दुःखों से भरा रहा।
Question 6:
सुख की एक साँस पर क्या निछावर है?
Answer:
सुख की एक साँस पर अमरत्व निछावर है।
अतिरिक्त प्रश्न:TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE
Question 7:
कवि बच्चन जी क्या गाकर अमर करने की बात कहते हैं?
Answer:
कवि बच्चन जी गीत गाकर उसे अमर करने की बात करते हैं।
Question 8:
कवि बच्चन जी किसके कंठों से दर्द की आवाज़ सुनते हैं?
Answer:
कवि बच्चन जी कोयल के कंठों से दर्द की आवाज़ सुनते हैं।
Question 9:
इस दुनिया में कौन अनचाहा रह गया?
Answer:
कवि इस दुनिया में अनचाहा रह गया।
Question 10:
‘तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए’ कविता के कवि कौन हैं?
Answer:
‘तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए’ कविता के रचनाकार डॉ. हरिवंशराय बच्चन जी हैं।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE
Question 1:
बच्चन जी ने जग में क्या लुटाया और क्यों?
Answer:
बच्चन जी, अपने उदारवादी दृष्टिकोण के कारण, जग में गूंजकर मिट जाने वाले गीतों का उपहार दिया। जब भी समाज ने उनसे कुछ मांगा, उन्होंने अपने मधुर गीतों का कोष उदारता से लुटाया। उन्होंने अपने गीतों को गाकर और सुनाकर, उन वर्णों को खोकर खुद को निर्धन अनुभव किया। यह कोष उनके लिए एक अमूल्य निधि थी, जिसे लुटाकर भी उन्होंने अपने जीवन को सार्थक समझा। उनके गीत समाज के लिए प्रेरणा बन गए और उनकी उदारता उनकी काव्य शैली में झलकती है।
Question 2:
बच्चन जी पाठकों को क्या-क्या भेंट देते हैं?
Answer:
बच्चन जी ने ऐसे गीतों की रचना की जो गूंजकर अपने आप विलीन हो जाते हैं। वे चाहते थे कि पाठक इन गीतों को गाकर उन्हें अमर बना दें। पाठकों के प्रति उनकी कृतज्ञता इस रूप में व्यक्त होती है कि वे ऐसा कुछ देना चाहते हैं, जिसे देने से उनकी हानि न हो और पाठकों को सबकुछ प्राप्त हो जाए। इस प्रकार, पाठक उनके इस अनमोल दान को स्वीकार कर उनकी रचनाओं को अमर बना सकते हैं।
Question 3:
बच्चन जी ने संसार और जीवन के संबंध में क्या कहा है?
Answer:
बच्चन जी संसार और जीवन के बारे में कहते हैं कि जब भी इस दुनिया ने मुझसे कुछ माँगा, मैंने अपनी सारी संपत्ति दे दी। इस प्रक्रिया में मैं खुद दरिद्र हो गया, लेकिन मैंने यह चाहा कि कम से कम तुम मेरा गीत गाओ, ताकि मेरा नाम और मेरा गीत अमर हो सके। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। इस संसार को मैंने अपनाया, इसमें ममता भी व्यक्त की, लेकिन फिर भी मेरी इच्छा यही है कि मेरा गीत सदैव जीवित रहे।
Question 4:
बच्चन जी की कविता का मूल भाव लिखिए।
Answer:
इस कविता का केंद्रीय विचार समाज के प्रति मनुष्य के कर्तव्यों और दुनिया के प्रति उदार दृष्टिकोण है। वर्तमान समय में जहां दुःख और पीड़ा का प्रभाव अधिक है, वहाँ कवि प्रेम, आनंद और उल्लास की आवश्यकता महसूस करते हैं। कोकिला का मधुर गान भी दुख और वेदना की आवाज बनकर उभरता है। कवि अपने जीवन के कठिन संघर्षों के बारे में बताते हुए, पाठकों से अनुरोध करते हैं कि वे उनका गान गाकर उन्हें अमर बना दें।
अतिरिक्त प्रश्न:TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE
Question 5:
बच्चन जी जीवन की अंतिम घड़ियों में भी क्या कहते हैं?
Answer:
बच्चन जी जीवन के अंतिम क्षणों में यह संदेश देना चाहते हैं कि भले ही उनका जीवन दुःख और संघर्ष से भरा रहा हो, फिर भी वे यह मानते हैं कि सुख का एक क्षण अमरत्व से भी कीमती है। सुख का हर एक पल अमरत्व से भी ऊँचा होता है, और यही उनकी अंतिम इच्छा है।
III. संसदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए : TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE
Question 1.
जब-जब जग ने कर फैलाये
मैंने कोष लुटाया,
रंक हुआ मैं निज निधि खोकर,
जगती ने क्या पाया?
Answer:
प्रसंग:
यह पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए’ से लिया गया है, और इसके रचनाकार डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं।
संदर्भ:
इन पंक्तियों में कवि यह व्यक्त कर रहे हैं कि उन्होंने इस दुनिया के लिए अपने काव्य रूपी खजाने को बिना किसी स्वार्थ के लुटाया, लेकिन इसके बदले में इस संसार ने उन्हें क्या दिया?
स्पष्टीकरण:
कवि बताते हैं कि जब भी दुनिया ने कुछ लिया, उन्होंने अपनी सम्पत्ति, भावनाएँ और विचारों से भरे काव्य को दुनिया में बाँट दिया। इस प्रक्रिया में वह स्वयं निर्धन हो गए, लेकिन इस संसार को आखिरकार क्या लाभ हुआ?
Question 2.
दुःख से जीवन बीता फिर भी
शेष अभी कुछ रहता,
जीवन की अंतिम घड़ियों में
भी तुम से यह कहता।
Answer:
प्रसंग:
यह पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए’ से लिया गया है, और इसके रचनाकार डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं।
संदर्भ:
कवि बच्चन जी अपने जीवन के संघर्षों को साझा करते हुए बताते हैं कि उनका अधिकांश जीवन दुःख से भरा रहा, लेकिन जीवन के अंतिम क्षणों में भी वह यह चाहते हैं कि उनका गान अमर हो जाए।
स्पष्टीकरण:
बच्चन जी का कहना है कि भले ही उनका जीवन दुःख और कठिनाइयों से भरा रहा, फिर भी उनका दिल अभी भी यही चाहता है कि उनका गान सदैव जीवित रहे।
तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए [TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE] Summary

यह कविता आधुनिक हिंदी साहित्य के एक महान कवि, डॉ. हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित है।
कवि अपने छात्रों से कहता है कि वे उसका गान गाएं, और उनके गाने के माध्यम से उसकी रचनाओं को अमर बना दें। कवि ने अपनी रचनाओं को सजाया है, उनके प्रत्येक भाग को सुंदरता से परिपूर्ण किया है। लेकिन कवि को लगता है कि उसका गान एक दिन समाप्त हो जाएगा। फिर भी, वह चाहता है कि उसकी रचना अमर हो जाए, जैसे कोकिल के गाने की आवाज़ स्वर्ग तक पहुँच जाती है। इसीलिए कवि अपने छात्रों से कहता है कि वे उसका गान गाएं और उसे अमर बना दें।
कवि यह भी कहता है कि जब-जब सारा ब्रह्मांड खुला और उसकी ओर हाथ फैलाया, तो उसने अपना खजाना साझा किया, लेकिन बदले में उसे क्या मिला? कवि कहता है कि उसके पास देने के लिए अब कुछ नहीं है, लेकिन वह फिर भी चाहता है कि छात्रों को कुछ प्राप्त हो, जो अमर हो सके। इस प्रकार, वह उनसे कहता है कि वे उसका गान गाएं, ताकि वह अमर हो जाए।
कवि ने संसार में सुंदर और असुंदर दोनों को अपनाया है। हालांकि उसे प्रेम नहीं मिला, फिर भी उसने प्रेम दिया है। वह देखना चाहता है कि कौन उसे प्रेम करता है। इसीलिए वह अपने छात्रों से कहता है कि वे उसकी इज़्ज़त रखें, ताकि वह अमर हो सके। साथ ही, वे उसका गान गाकर उसे अमर बना सकते हैं।
कवि का जीवन दुख और दर्द से भरा रहा है, लेकिन जीवन के अंतिम क्षणों तक वह यही कहता है कि यदि एक पल का सुख मिल जाए, तो अमरता से अधिक महत्वपूर्ण वह सुख है। यदि सुख का एक क्षण उसे मिलता है, तो उसका जीवन अमर हो जाएगा। इस प्रकार, कवि हमें कहता है कि हम उसका गान गाएं, और उसे अमर बनाएं।
तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए कवि परिचय : [TUM GA DO, MERA GAAN AMAR HO JAYE] Poet Introduction:
कवि परिचय:
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध गीतकार और हालावाद के प्रवर्तक माने जाने वाले डॉ. हरिवंशराय बच्चन का जन्म 1907 में प्रयाग के कटरा मुहल्ले में हुआ था। उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की। कुछ समय तक भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी भाषा विशेषज्ञ के रूप में कार्य किया और राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उनका निधन 2003 में हुआ।
प्रमुख रचनाएँ:
‘मधुशाला’, ‘मधुबाला’, ‘मधुकलश’, ‘निशा निमंत्रण’, ‘प्रणय पत्रिका’, ‘हलाहल’, ‘बंगाल का अकाल’ आदि।
कविता का आशय:
इस कविता में डॉ. हरिवंशराय बच्चन ने मधुर स्वप्नों और कल्पनाओं के साथ-साथ मोहक शब्दों का प्रयोग किया है। समाज के प्रति जिम्मेदारी और संसार के प्रति उदार दृष्टिकोण को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने पाठकों के प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त किया है। इस कविता में उमर खय्याम की रूबाइयों का प्रभाव भी देखा जा सकता है।